अवगुन कहूँ शराब का आपा अहमक होय मीनिंग Avgun Kahu Sharab Ka Meaning : Kabir Ke Dohe Bhavarth/Arth
अवगुन कहूँ शराब का आपा अहमक होय।
मानुष से पशुता करे , दाम गांठ से खोय।
Avgun Kahu Sharab Ka, Aapa Ahmak Hoy,
Manush Se Pashuta Kare, Daam Ganth Se Khoy.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब इस दोहे में कथन देते हैं की मैं शराब के अवगुण के बारे में बताता हूँ, बुराई करता हूँ। शराब के सेवन से व्यक्ति व्यक्ति मनुष्य गुणों से पशु बन जाता है। शराब अहम् रूपी अवगुण को बढ़ाती है। शराब के सेवन में दाम भी खर्च होते हैं, धन भी लगता है अपनी गाँठ/जेब से। शराब के अवगुणों का वर्णन करते हुए कबीर साहब कहते हैं की व्यक्ति अभिमानी और दम्भी बन जाता है, शराब व्यक्ति को मनुष्य से पशु बना देती है। और गाँठ (जेब) से रूपया भी खर्च होता है। अतः ऐसे नशे का क्या फायदा जिसमें धन लगे और जो मनुष्य को पशु तुल्य बना दे।