ज्ञानी ज्ञाता बहु मिले पंडित कवि अनेक मीनिंग Gyani Gyata Bahu Mile Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
ज्ञानी ज्ञाता बहु मिले, पंडित कवि अनेक,
हरि रटा इंद्री जिता, कोटि मध्य ऐक।
हरि रटा इंद्री जिता, कोटि मध्य ऐक।
Gyani Gyata Bahu Mile, Pandit Kavi Anek,
Hari Rata Indri Jeeta, Koti Madhy Ek.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब कहते हैं की किताबी ज्ञान रखने वाले ग्यानी और ज्ञाता, पंडित और कवी तो उन्हें बहुत सारे मिले लेकिन हरी के नाम का आत्मिक सुमिरन करने वाले और इंदियों को जीत कर अपने वश में करने वाले करोड़ों में से एक आधा ही मिलता है। आशय है की इन्द्रियों को काबू करके हृदय से हरी नाम सुमिरन ही महत्त्व रखता है, किताबी ज्ञान, पंडिताई, कवी आदि नहीं. किताबी ज्ञान से आध्यात्मिक ज्ञान का कोई लेना देना नहीं है यदि उसे अपने चरित्र में नहीं उतारा जाए।
कबीर साहेब के इस दोहे का अर्थ है की ज्ञानी और ज्ञाता अनेक मिले हैं, पंडित और कवि भी अनेक मिले हैं लेकिन हरि का प्रेमी और इन्द्रियजीत करोड़ों मे भी एक ही मिलते हैं। हरी के नाम का उच्चारण करते हुए इन्द्रियों को जिसने जीत लिया है, ऐसा साधक उसे करोड़ों में एक मिला है।