हीरा वहाँ न खोलिये जहाँ कुंजड़ों मीनिंग

हीरा वहाँ न खोलिये जहाँ कुंजड़ों की हाट मीनिंग

हीरा वहाँ न खोलिये, जहाँ कुंजड़ों की हाट।
बांधो चुप की पोटरी, लागहु अपनी बाट॥

Heera Vaha Na Kholiye Jaha Kunjado Ki Haat,
Bandho Chup Ki Potari, Lagahu Apni Baat.
 
हीरा वहाँ न खोलिये जहाँ कुंजड़ों की हाट मीनिंग Heera Vaha Na Kholiya Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ

कबीर साहेब के इस दोहे का अर्थ है की हीरे की सही पहचान, उसके मूल्यवान होने को केवल जौहरी कर सकता है इसी प्रकार ज्ञानी और श्रेष्ठ व्यक्ति की पहचान सब नहीं कर सकते । कबीर जी के इस दोहे में यह संदेश दिया गया है कि हीरे को वहां नहीं खोलना चाहिए जहां कंजर हों, अज्ञानी हों। ऐसे में चुपचाप अपनी पोटली (बड़ा थैला) को बाँध कर वहां से चले जाने में ही भलाई है। 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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