कबीरा खड़ा बाज़ार में मांगे सबकी खैर हिंदी मीनिंग
कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर,
ना काहू से दोस्ती, न काहू से बैर
Kabeera Khada Baazaar Mein, Maange Sabakee Khair,
Na Kaahoo Se Dostee, Na Kaahoo Se Bair
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग Kabir Ke Dohe Ka Hindi Meaning: इस दोहे में जितने सरल शब्दों का चयन किया गया है उतना ही गूढ़ भाव है। जिसने अहम् का शमन कर दिया है, स्वंय को परमसत्ता से जोड़ लिया है, उसके लिए ना कोई अपना है, ना कोई पराया है और ही कोई दोस्त और दुश्मन। ऐसा करने के लिए हजारों बेड़ियाँ तोडनी पड़ती हैं और तब कहीं जाकर वह कबीर बन पाता है। ये जंजीरे तोड़ना बहुत ही कठिन काम है। जब सारी जंजीरे टूट जाती है, तब वह कबीर साहेब की भांति बाजार में खड़ा हो सकता है, निष्पक्ष। जिसका कोई दोस्त नहीं है और नाही कोई शत्रु। आत्मा का शुद्धत्तम रूप है 'कबीर' . जिसने अपने अहम् को नष्ट कर दिया है, जिसके लिए प्रशंशा भी कोई मायने नहीं रखती है और ना ही बुराई ! ना उसका कोई रिश्तेदार है और ना ही उसे लौटकर घर जाना है। वह जावबदेह है तो केवल 'मालिक' के लिए। उसके लिए ना कोई राजा है और नाही कोई फ़कीर। शब्दों के जाल से वह ऊपर उठ चूका है। क्या वह पागल हो गया है ?
कबीरा खड़ा बाजार में दोहे का अर्थ
माया की जंजीरों से जकड़े व्यक्ति को वह पागल लगता है लेकिन जिसने माया को समझा और उसे स्वंय से दूर कर दिया है उसके लिए वह व्यक्ति 'कबीर' है। कबीर साहेब ने अपनी वाणी में सदा ही समझाया है की जब काल का निर्णय होगा तो कोई जात, पात और ऊंच नीच, रिश्ते नाते काम नहीं आने हैं। वहां केवल यह देखा जायेगा की तुम्हे जो मानव जीवन मिला था उसका उपयोग तुमने कैसे किया। जब सभी जंजीरों को तोड़ दोगे तब कहीं तुम जाकर शुद्ध रूप से विचार कर पाओगे। कहाँ से आये हो, कहाँ जाओगे, अपना पराया सब ज्ञात होने लगेगा। व्यक्ति जानने लग जाता है की जिसे वह अपना घर समझ रहा है (झूठा जगत ) वहां तो उस जैसे कई आये और चले गए। जगत से झूठी प्रीत लगाने से क्या फायदा। कहना बहुत मुश्किल है लेकिन कबीर साहेब की वाणी को अपने आचरण में उतरना बहुत ही मुश्किल।
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