माटी कहे कुम्हार से तु क्या रौंदे मोय हिंदी मीनिंग
माटी कहे कुम्हार से, तु क्या रौंदे मोय,
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूगी तोय॥
Mati Kahe Kumhar Se, Tu Kya Rounde Moy,
Ek Din Aisa Aayega, Main Roundungi Toy.
कबीर के दोहे का हिंदी अर्थ/भावार्थ
मृत्यु की अनिवार्यता के सम्बन्ध में कबीर साहेब का कथन है की माटी कुम्भकार से कहती है तू मुझे अपने पांवों के तले क्यों रौंद रहे हो ? एक रोज ऐसा आएगा जब (मृत्यु के समय ) मैं तुमको अपने पावों के तले रौंद डालूंगी। आशय है की एक रोज व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाएगा और उसका पंचतत्व का पुतला पुनः मिटटी में मिल जाएगा। आशय है की जीवन स्थाई नहीं है एक रोज यह समाप्त हो जाना है, अतः व्यक्ति को चाहिए की वह ईश्वर के नाम का सुमिरन करे, भक्ति करे और काल के ग्रास से बचने का प्रयास करे। इस दोहे में, कबीर दास एक साधारण उदाहरण के माध्यम से एक महत्वपूर्ण संदेश दे रहे हैं। कुम्हार मिट्टी को रौंदकर उससे बर्तन बनाता है।
माटी कुम्हार से कहती है कि तुम मुझे रौंद रहे हो, लेकिन एक दिन ऐसा आएगा जब मैं तुम्हें रौंदूंगी। इसका मतलब है कि जीवन की नश्वरता। सभी प्राणी एक दिन मिट्टी में मिल जाएंगे। इस दोहे का एक और अर्थ यह भी है कि अहंकार का अंत। कुम्हार को लगता है कि वह माटी को रौंदकर उस पर हावी हो रहा है। लेकिन माटी उसे बताती है कि एक दिन वह भी मिट्टी में मिल जाएगा। इसका मतलब है कि अहंकार का अंत निश्चित है। कबीर दास इस दोहे के माध्यम से हमें यह सिखा रहे हैं कि हमें अहंकार नहीं करना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि हम सभी एक दिन मिट्टी में मिल जाएंगे।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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