अंषड़ियाँ झाँई पड़ी पंथ निहारि निहारि हिंदी मीनिंग
अंषड़ियाँ झाँई पड़ी, पंथ निहारि-निहारि।
जीभड़ियाँ छाला पड्या, राम पुकारि-पुकारि॥
Aakhadiya Jhai Padi, Panth Nihari Nihari,
Jeebhadiya Chhala Padya, Ram Pukari Pukari.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
विरह की अग्नि में निरंतर जल रही जीवात्मा का चित्रण करते हुए कबीर
साहेब कहते हैं की अपने प्रिय (इश्वर) के आने के इन्तजार में राह तकते तकते उसकी आँखों के नीचे काले घेरे पड़ गए हैं। हरी का नाम लेते लेते उसकी जिव्हा पर छाले पड़ गए हैं। आशय है की भक्ति रस में डूबी जीवात्मा अपने प्रिय मिलन हेतु लालायित है और विरह की अग्नि में तडप रही है। इसी स्थिति का चित्रण इस दोहे में किया गया है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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