
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की तुम बागों (उद्यान) में क्यों मारे मारे फिर रहे हो ? तेरी काय तो गुलजार ही है। तेरा अस्तित्व गुलजार है। तुम तो सहस-कँवल (हजार दल वाला कमल) पर बैठकर अपार (असीम ) तक देख सकते हो। आशय है की तुम जीवात्मा हो, अपने शुद्ध हृदय से तुम इश्वर को प्राप्त कर सकते हो.
बागों ना जा रे ना जा तेरी काया में गुलजार
करनी-क्यारी बोई कर तू रहनी करु रखवार
दुरमति काग उड़ाई के देखै अजब बहार
दया पौद सूखे नहीं छिमा सींच जल ढार
गुल और चमन के बीच में फूला अजब गुलाब
मुक्ति कली सतमाल की पहिरू गूंथी गलहार
अष्ट कमल से उपजे लीला अगम अपार
कहै 'कबीर' चित चेतक आवागमन निवार
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |