बैरागी बिरकात भला गिरही चित्त मीनिंग

बैरागी बिरकात भला गिरही चित्त उदार हिंदी मीनिंग

बैरागी बिरकात भला, गिरही चित्त उदार |
दोऊ चूकि खाली पड़े, ताके वार न पार ||

Bairagi Birkat Bhala, Girahi Chitt Udar,
Dou Chuki Khali Pade, Take Vaar Na Paar.
 
बैरागी बिरकात भला गिरही चित्त उदार हिंदी मीनिंग Bairagi Birkat Bhala Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ)

कबीर साहेब वैरागी और गृहस्थ के विषय में कथन देते हैं की जिसने वैराग्य धारण कर लिया है, उसमें तो विरक्तता उत्तम है और जो गृहस्थ आश्रम में है उसके लिए शांत और उदार चित्त से सेवा भाव ही ठीक है। यदि दोनों अपने दायित्वों से चूक जाते हैं तो उसको कोई ठौर ठिकाना नहीं है। उसका कोई आर और पार नहीं है। आशय है की हरी की भक्ति ही श्रेष्ठ माध्यम है काल के प्रभाव से मुक्त होने का। संत कबीरदास जी के इस दोहे का अर्थ है कि साधु में विरक्तता और गृहस्थ में उदारतापूर्वक सेवा करना उत्तम है। यदि दोनों अपने-अपने गुणों से चूक गए, तो उनका कोई महत्त्व नहीं होता है.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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