भक्ति जो सीढ़ी मुक्ति की चढ़ै भक्त हरषाय मीनिंग Bhakti Jo Seedhi Mukti Ki Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
भक्ति जो सीढ़ी मुक्ति की, चढ़ै भक्त हरषाय |और न कोई चढ़ि सकै, निज मन समझो आय ||
Bhakti Jo Sidhi Mukti Ki, Chadhe Bhakt Harshay,
Aur Na Koi Chadhi Sake, Nij Man Samajho Aay.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब इस दोहे में सन्देश देते हैं की भक्ति ही मुक्ति की सीढी है। इस सीढ़ी पर चढ़ने वाला भक्त हर्षित होता है। निज मन में जो इसके बारे में सोचता है वही इस सीढी पर चढ़ पाने में सफल हो सकता है, अन्य कोई भी इस सीढ़ी पर नहीं चढ़ सकता है। इस दोहे का अर्थ है कि भक्ति मुक्ति की सीढ़ी है, इसलिए भक्तजन खुशी-खुशी उस पर चढ़ते हैं। आकर अपने मन में समझो, दूसरा कोई इस भक्ति सीढ़ी पर नहीं चढ़ सकता। इस दोहे में, संत कबीर जी कहते हैं कि भक्ति एक ऐसा मार्ग है जो हमें मोक्ष तक पहुंचाती है।