भोग मोक्ष मांगो नहि भक्ति दान हरि देव हिंदी मीनिंग Bhog Moksh Mango Nahi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit
भोग मोक्ष मांगो नहि, भक्ति दान हरि देव,
और नहि कछु चाहिये, निश दिन तेरी सेव।
Bhog Moksh Mango Nahi, Bhakti Dan Hari Dev,
Aur Nahi Kachhu Chahiye, Nis Din Teri Sev.
कबीर के दोहे का हिंदी में अर्थ / भावार्थ Kabir Doha Hindi Meaning
साधक समर्पण भाव से कहता है की वह सांसारिक भोग और मोक्ष की प्राप्ति की चाह नहीं रखता है। हे इश्वर आप तो मुझे भक्ति का दान दीजिये। मुझे और कुछ भी नहीं चाहिए रात और दिन मैं तो आपकी सेवा में ही रहना चाहता हूँ। इस दोहे में कबीर दास जी ईश्वर से भक्ति का दान मांगते हैं। वे कहते हैं कि वे भोग या मोक्ष नहीं चाहते हैं। उन्हें केवल भक्ति चाहिए। भोग तो केवल कुछ समय के लिए सुख देते हैं, लेकिन फिर वे समाप्त हो जाते हैं। कबीर दास जी कहते हैं कि वे केवल ईश्वर की सेवा करना चाहते हैं। वे ईश्वर के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त करना चाहते हैं। वे कहते हैं कि उन्हें अन्य किसी चीज की इच्छा नहीं है।