बिरह जिलानी मैं जलौं जलती जलहर जाऊँ हिंदी मीनिंग Birah Jilani Main Jalo Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit.
बिरह जिलानी मैं जलौं, जलती जलहर जाऊँ।
मो देख्याँ जलहर जलै, संतौ कहा बुझाऊँ॥
Birah Jilani Main Jalo, Jalati Jalhar Jau,
Mo Dekhya Jalhar Jale, Santo Kaha Bujhau.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
जीवात्मा रूपी विरहनी कहती है की विरह में जल रही है, जलती हुई अवस्था में वह सरोवर में गमन करती है। वहां पर जाकर वह देखती है की विरह की अग्नि में जलाशय भी जल रहा है। हे संतों अब आप ही यह बताइये की इस अग्नि को कैसे बुझाया जाय ? कबीर दास जी विरहिणी आत्मा की पीड़ा का वर्णन कर रहे हैं। विरहिणी आत्मा अपने प्रियतम परमात्मा के वियोग में इतनी जलती है कि वह सरोवर (या जल-स्थान) के पास जाकर अपनी प्यास बुझाने की कोशिश करती है। लेकिन वहाँ वह देखती है कि उसके विरह की आग से जलाशय भी जल रहा है। विरह की स्थिति का मार्मिक चित्रंण कबीर साहेब ने यहाँ पर किया है.
बिरह जिलानी मैं जलौं: विरहिणी आत्मा अपने प्रियतम के वियोग में इतनी जलती है कि वह मानसिक और शारीरिक रूप से भी जलने लगती है।
जलती जलहर जाऊँ: विरहिणी आत्मा अपनी प्यास बुझाने के लिए सरोवर (या जल-स्थान) के पास जाती है। मो देख्याँ जलहर जलै: विरहिणी आत्मा देखती है कि उसके विरह की आग से जलाशय भी जल रहा है। संतौ कहा बुझाऊँ: विरहिणी आत्मा संतों से पूछती है कि वह अपनी विरह की आग को कहाँ बुझाए।