डूबा औधर न तरै मोहिं अंदेशा होय हिंदी मीनिंग Duba Oudhar Na Tare Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Meaning
डूबा औधर न तरै, मोहिं अंदेशा होय।
लोभ नदी की धार में, कहा पड़ा नर सोय॥
लोभ नदी की धार में, कहा पड़ा नर सोय॥
Duba Aoudhar Na Tare, Mohi Andesha Hoy,
Lobh Nadi Ki Dhar Me, Kaha Pada Nar Soy.
कबीर के दोहे का हिंदी अर्थ Kabir Ke Dohe Ka Hindi Meaning / Arth
माया जनित कार्य करने वाले व्यक्ति / कुमार्ग का अनुसरण करने वाले व्यक्ति के सम्बन्ध में कबीर साहेब कहते हैं की ऐसा व्यक्ति भव सागर से तैर कर पार नहीं हो पाता है, मुक्त नहीं हो पाता है। यह कबीर साहेब का अंदेशा है। लोभ रूपी नदी की धार में नर ना जाने क्यों पड़ा हुआ सो रहा है। जीव को चाहिए की लोभ को छोड़कर व्यक्ति को भक्ति के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए। साहेब की वाणी है की नदी के औधर (चकोह/कुधार) में फंसा हुआ व्यक्ति सही सलामत बच नहीं सकता है, उसे बचाने वाला कोई नहीं है. कबीर साहेब कहते हैं की मुझे ऐसा अंदेशा है, मुझे ऐसा लगता है. लोभ रूपी नदी की धारा में तुम पड़े मत रहो, जाग्रत बनों और इस लोभ से बाहर निकलो, तुम क्यों अज्ञान की निंद्रा में सो रहे हो.
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |