कबीर गुरु की भक्ति बिन अधिक जीवन संसार मीनिंग Kabir Guru Ki Bhakti Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
कबीर गुरु की भक्ति बिन, अधिक जीवन संसार |धुँवा का सा धौरहरा, बिनसत लगै न बार ||
Kabir Guru Ki Bhakti Bin, Adhik Jivan Sansar,
Dhua Ka Sa Dhourhara, Binsat Lage Na Baare.
भक्ति के बिना यदि लम्बा जीवन है तो इसका कोई महत्त्व नहीं है। गुरु की भक्ति के बिना संसार में जीवन का कोई महत्त्व नहीं है। यदि गुरु भक्ति के स्थान पर जीवात्मा अन्य कार्यों में लगी रहती है तो यह कार्य धुंए के महल / घर के समान है जिसे नष्ट होने में समय नहीं लगता है.कबीरदास जी के इस दोहे का अर्थ है कि बिना गुरु के मार्गदर्शन के जीवन व्यर्थ है। यह संसार एक धुएं के महल के समान है, जो जल्दी ही नष्ट हो जाएगा।
कबीरदास जी का मानना था कि गुरु ही जीवन का सार है। गुरु ही शिष्य को सत्य का ज्ञान कराता है और उसे सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। बिना गुरु के शिष्य अज्ञानता के अंधकार में भटकता रहता है। वह सत्य का मार्ग नहीं पा सकता।
कबीरदास जी का मानना था कि गुरु ही जीवन का सार है। गुरु ही शिष्य को सत्य का ज्ञान कराता है और उसे सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। बिना गुरु के शिष्य अज्ञानता के अंधकार में भटकता रहता है। वह सत्य का मार्ग नहीं पा सकता।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |