गुरु के सनमुख जो रहै सहै कसौटी दूख हिंदी मीनिंग Guru Ke Sanmukh Jo rahe Meaning : Kabir Ke Dohe Ka Hindi Arth/Bhavarth
गुरु के सनमुख जो रहै, सहै कसौटी दूख |
कहैं कबीर ता दुःख पर वारों, कोटिक सूख ||
Guru Ke Sanmukh Jo Rahe Sahe Kasoti Dukh,
Kahe Kabir Ta Dukh Par Varo Kotik Sukh.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
अर्थ: जो साधक अपने गुरु के सन्मुख रहता है, वह कसोटी पर कई दुखों का सामना करता है। कबीर साहेब कहते हैं ऐसे दुख पर करोड़ों सुख भी बलिदान किये जा सकते हैं। इस दोहे में कबीरदास जी गुरु के महत्व और गुरु के चरणों में रहकर कष्ट सहने के लाभ पर प्रकाश डालते हैं। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति विवेक, वैराग्य और ज्ञान से सम्पन्न सतगुरु के सामने रहता है, वह गुरु की कसौटी और सेवा करने तथा आज्ञा पालन करने का कष्ट सहता है। लेकिन इस कष्ट पर करोड़ों सुख न्योछावर हैं।
सम्पन्न सतगुरु के समुख रहकर जो उनकी कसौटी और सेवा करने, सेवा भाव से भक्ति करने से आज्ञा पालन करने से सम्बंधित वह साधक अनेकों प्रकार के दुखों को सहन करता है। लेकिन फिर भी कबीर साहेब कहते हैं की ऐसे दुखों पर साधक के करोड़ों दुख न्योछावर हैं।