झलक पहले जैसी दिखानी पड़ेगी
झलक पहले जैसी दिखानी पड़ेगी
झलक पहले जैसी दिखानी पड़ेगी,झलक पहले जैसी दिखानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की बुझानी पड़ेगी।
सलोनी अदा पे ये दिल हार बैठा,
तुम्हारे भरोसे पे सरकार बैठा,
अधिक देर करना गवारा ना होगा,
मधुर धुन फिर से सुनानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की बुझानी पड़ेगी।
दिला दुंगा अपनी कसम मैं मुरारी,
पड़ी कितनी महंगी सनम तेरी यारी,
ना छोडुंगा तुमको ये वादा मेरा है,
नजर से नजर फिर मिलानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की बुझानी पड़ेगी।
बिना ही वजह क्युं सजा दे रहे हो,
मोहब्बत का कैसा मज़ा दे रहे हो,
गुनहगार हूं तेरा फिर भी मुरारी,
पुरानी लगन है निभानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की बुझानी पड़ेगी।
यही श्यामबहादुर भी कहते रहे है,
सीतम श्याम सुंदर का सहते रहे है,
सबल को नहीं कोई कहता है दोषी,
तरस सांवरे शिव पे खानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की बुझानी पड़ेगी।
झलक पहले जैसी दिखानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की बुझानी पड़ेगी,
झलक पहले जैसी दिखानी पड़ेगी,
लगी आग दिल की बुझानी पड़ेगी।
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