नैनाँ अंतरि आव तूँ ज्यूँ हौं नैन झँपेऊँ मीनिंग Naina Antari Aav Tu Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
नैनाँ अंतरि आव तूँ, ज्यूँ हौं नैन झँपेऊँ।नाँ हौं देखौं और कूँ, नाँ तुझ देखन देऊँ॥
Naina Antari Aav Tu, Jyu Ho Nain Japeu,
Na Ho Dekho Aur Ku, Na Tujh Dekhan Deu.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
जीवात्मा अपने प्रिय (इश्वर) से गुहार करती है की आप मेरे नैनों में आओ, आपके नैनों में आते ही मैं अपने नैनों को/पलकों को बंद कर लूँ। ना तो मैं किसी और को देखूं और नाहीं मैं आपको किसी अन्य को देखने ही दूँ। भक्त का अपने प्रिय इष्ट से भक्ति का परम भाव कबीर साहेब ने इस दोहे में प्रदर्शित किया है। इस दोहे में, प्रियतमा अपने प्रियतम से कह रही है कि वह उसके बिना जी नहीं सकती। वह चाहती है कि उसका प्रियतम उसके भीतर हमेशा के लिए बस जाए। वह चाहती है कि वह उसके अलावा किसी और को न देख सके और न ही किसी और को उसे देखने दे सके।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |