जौं रोऊँ तौ बल घटै हँसौं तौ राम रिसाइ हिंदी मीनिंग Jo Rou To Bal Ghate Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Bhavarth
जौं रोऊँ तौ बल घटै, हँसौं तौ राम रिसाइ।
मनहीं माँहि बिसूरणां, ज्यूँ धुँण काठहिं खाइ॥
Jo Rou To Bal Ghate Hanso Ghate To Ram Risai,
Manahi Mahi Bisurana, Jyu Ghun Kathhi Khai.
कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग Kabir Ke Dohe Hindi Meaning
कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word Meaning
जौ रोऊँ – जो मैं रोता हूँ
तो-तो/तब.
बल घटे-शारीरिक शक्ति का ह्रास होता है.
हँसौं तो –हंसने पर.
राम रिसाइ-राम (इश्वर) नाराज हो जाते हैं.
मनही माँहि – मन के अंदर.
बिसूरणाँ- सोचना / चिन्तन करना.
ज्यूँ घुंण-जैसे घुन.
काठहि खाइ-लकड़ी को खा जाता है.
जौ रोऊँ – जो मैं रोता हूँ
तो-तो/तब.
बल घटे-शारीरिक शक्ति का ह्रास होता है.
हँसौं तो –हंसने पर.
राम रिसाइ-राम (इश्वर) नाराज हो जाते हैं.
मनही माँहि – मन के अंदर.
बिसूरणाँ- सोचना / चिन्तन करना.
ज्यूँ घुंण-जैसे घुन.
काठहि खाइ-लकड़ी को खा जाता है.
कबीर साहेब की वाणी है की जीवात्मा प्रिय के वियोग में रोती है, विलाप करती है, लेकिन वह कहती है की मैं रोता हूँ तो जब हँसता है, आत्मिक बल घटता है, और यदि मैं हंसती हूँ तो राम ही रूठ जाते हैं. यह पीड़ा मुझे मन ही मन खाए जा रही है, मैं किसी को बता भी नहीं सकती हूँ, जैसे की घुन काठ को खा रहा है.
साधक की मानसिक स्थिति का चित्रण करते हुए कबीर साहेब का कथन है जो वह हँस नहीं सकता और ना ही वह रो सकता है। ऐसे में वह अन्दर ही अन्दर घुटन करता है और दुखी रहता है। आशय है की यदि साधक रोता है तो उसका मानसिक बल घटता है और यदि वह हँसता है तो उसे अंदेशा है की उसका स्वामी रुष्ट हो सकता है। वह मन ही मन दुखी रहता है जैसे की कोई घुन लकड़ी को अन्दर ही अन्दर खाता रहता है, कुछ ऐसी ही स्थिति हरी भक्त की होती है।