कबीर ऐसा यहु संसार है जैसा सैंबल फूल मीनिंग Kabir Aisa Yahu Sansar Meaning: Kabir Ke Dohe Hindi Meaning/Arth Sahit.
कबीर ऐसा यहु संसार है, जैसा सैंबल फूल।
दिन दस के व्यौहार में, झूठै रंगि न भूलि॥
Kabir Aisa Yahu Sansar Hai, Jaisa Saimbal Phool,
Din Das Ke Vyovhar Me, Jhuthe Rangi Na Bhuli.
जीवन की क्षण भंगुरता के विषय में कबीर साहेब का कथन है की यह जगत सेमल के फूल की भाँती है जो अल्प समय के लिए खिलता है। वैसे ही दस दिन व्यवहार के बाद सब समाप्त हो जाता है, यह झूठा रंग है, मायाजनित रंग है। आशय है की यह जीवन अत्यंत ही अल्प है इसे मायाजनित व्यवहार में पड़कर जीवन के मूल उद्देश्य भक्ति को विस्मृत नहीं करना चाहिए। इस दोहे में कबीरदास जी संसार की असारता को व्यक्त करते हैं।
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |