कबीर गर्ब न कीजिये इस जीवन की आस मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning

कबीर गर्ब न कीजिये इस जीवन की आस मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

कबीर गर्ब न कीजिये, इस जीवन की आस |
टेसू फूला दिवस दस, खंखर भया पलास ||

Kabir Garv Na Kijiye, Is Jivan Ki Aas,
Tesu Fula Divas Das, Khankhar Bhaya Palas.
 
कबीर गर्ब न कीजिये इस जीवन की आस मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में कबीर साहेब जीवन की अस्थाई होने पर सन्देश है की इस देह/जीवन पर गर्व नहीं करना चाहिए। जीवन की आशा में परमात्मा को नहीं भूलना चाहिए। जैसे टेसू का फूल कुछ समय के लिए फलता फूलता है और पलास खोखला हो जाता है, जो बहुत अल्प समय के लिए होता है। आशय है की पलास का पेड़ दस दिनों में फूलो से लद जाता है, उसके चारों तरफ पलास के फूल लग जाते हैं और फिर इसके फूल अल्प समय में ही झड़ झड जाते हैं, ऐसे ही मानव जीवन है जो अल्प समय के लिए है, एक रोज यह समाप्त हो जाना है।

कबीरदास जी कहते हैं कि पलाश का पेड़ दस दिनों में फूलों से लद जाता है, लेकिन फिर कुछ ही दिनों में फूल झड़ जाते हैं और पेड़ सूख जाता है। इसी प्रकार, जवानी भी जल्दी ही समाप्त हो जाती है। इसलिए, मानव जीवन का घमंड नहीं करना चाहिए। इस दोहे का संदेश यह है कि हमें अपने जीवन को सार्थक बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।
+

एक टिप्पणी भेजें