कबीर कुत्ता राम का मुतिया मेरा नाऊँ मीनिंग कबीर के दोहे

कबीर कुत्ता राम का मुतिया मेरा नाऊँ मीनिंग Kabir Kutta Ram ka Meaning : kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit.

कबीर कुत्ता राम का, मुतिया मेरा नाऊँ।
गलै राम की जेवड़ी, जित खैंचे तित जाऊँ॥ 
 
Kabir Kutta RAm Ka Mutiya Mera Nau,
Gale Ram ki Jevadi, Jit Khenche, Tit Jau.
 
कबीर कुत्ता राम का मुतिया मेरा नाऊँ मीनिंग Kabir Kutta Ram ka Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में कबीर दास जी अपने ईश्वर के प्रति समर्पण और प्रेम का वर्णन करते हैं। वे कहते हैं कि वे ईश्वर दास हैं जैसे की कुत्ता अपने मालिक के प्रति समर्पित होता है. कुत्ते के रूप में उनका नाम नाम मुतिया है। उनके गले में ईश्वर की ज़ंजीर पड़ी हुई है, और वे उधर ही जाते हैं जहां ईश्वर उन्हें ले जाता है। वे कहते हैं कि उन्हें इस बंधन में कोई परेशानी नहीं है, बल्कि उन्हें इसमें आनंद आता है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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