गणेश अष्टकम लिरिक्स Meaning Ganesh Ashkama Meaning Lyrics


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गणेश अष्टकम लिरिक्स Meaning Ganesh Ashkama Meaning Lyrics

शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते,
इति निशा गौरी उठी शयन से,
देखा सभी को घेरे है निद्रा,
गाती जगाती गौरी सभी को,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते,
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते।

गौरी उमा गणपति को जगाये,
जागो उठो पुत्र सुनयन खोलो,
शिव गण सभी धुंद निनाद करते,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते,
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते।

देखो गजानंद सूरज निकलता,
लाली सारा नभ शोभता है,
रंगीन किरणें गाते है पंछी,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते,
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते।

बहती हवाएं तरु झूमते है,
नर तन से नटराज प्रसन्न होते,
भक्ते है ताली लय में बजाते,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते,
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते।

धोया उमा ने मुख गणपति का,
सोया हुवा लाल खिला कमल सा,
भवरे बने शिव गण गा रहे है,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते,
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते।

शिव ध्यान करती माला पिरोती,
वो माँ बुलाती निज लाल को सब,
सखिया सभी सस्वर गीत गाती,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते,
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते।

जागो पुजारी शिव मंदिरो के,
करते शिवार्चन फूलो फलो से,
तुमभी चलो विघ्न हरो सभी के,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते,
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते।

ओमकार के सचमुच रूप हो तुम,
साकार श्रृष्टि के स्वरूप हो तुम,
बुद्धि प्रदाता धन धान्य दाता,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते,
शिव पुत्र हेरंभ गणाधीनाथ,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते,
गणेश गणनाथ नमो नमस्ते।
 
एकदन्तं महाकायं तप्तकांचनसन्निभम् ।
लम्बॊदरं विशालाक्षं वन्दॆऽहं गणनायकम् ॥१॥
 
"मैं उन भगवान को प्रणाम करता हूं, एक दांत को धारण करते हैं, जिनका शरीर बहुत बड़ा है, विशाल है और जो पिघले हुए सोने की तरह चमकदार है, जिनका पेट बहुत बड़ा है, और जिनकी आंखें बहुत बड़ी हैं। मैं गणनायक की वंदना करता हूँ" यह श्लोक भगवान गणेश के समर्थन में है और उनके विशेष गुणों की स्तुति करता है। यह श्लोक उनके विशेष रूप और गुणों का वर्णन करता है:
एकदंतं: जिनका एक ही दंत है
महाकायं: जिनके शरीर का विशाल रूप है
तप्तकाञ्चनसंनिभं: जिसका शरीर सोने की भांति है
लम्बोदरं: जिसका पेट बड़ा है
विशालाक्षं: जिसकी आँखें बड़ी हैं
वंदेऽहं गणनायकं: मैं उस गणेश भगवान का वंदन करता हूं, जो गणों के नायक हैं

Meaning:- I bow to the Lord of Ganas, who has one tusk, a large body, is the color of molten gold, has a big belly, and large eyes.
 
एकदन्तं (ekadantam): Ganesha has only one tusk. The story goes that he once broke his tusk while fighting with his brother, the god Karthikeya. Ganesha gave his tusk to his mother, Parvati, who used it to create a veena, a stringed instrument.
महाकायं (mahakayam): Ganesha has a very large body. He is often depicted as being pot-bellied, which is a sign of prosperity and good luck.
तप्तकांचनसन्निभम् (tapta-kanchana-sannibham): Ganesha's body shines like molten gold. This is a symbol of his purity and divine nature.
लम्बॊदरं (lambhodaram): Ganesha has a very large belly. This is a symbol of his ability to digest and absorb all kinds of knowledge and wisdom.
विशालाक्षं (vishalaksham): Ganesha has very large eyes. This is a symbol of his wisdom and insight.
 
 
मौञ्जीकृष्णाजिनधरं नागयज्ञॊपवीतिनम् ।
बालॆन्दुविलसन्मौलिं वन्दॆऽहं गणनायकम् ॥२॥
 
"मैं उन भगवान को प्रणाम करता हूं, जो गणों के नेता हैं, जिनका वस्त्र मुंजा घास और हिरण की खाल से बना है, जो सर्प को पवित्र धागे के रूप में पहनते हैं, और जिनके सिर पर बालचंद्र विराजमान है।"
मौञ्जीकृष्णाजिनधरं (mounji-krishna-ajina-dharam): गणेश मुंजा घास और हिरण की खाल से बने वस्त्र पहनते हैं। मुंजा घास एक पवित्र घास है जिसका उपयोग हिंदू धर्म में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। हिरण की खाल सात्विकता और शांति का प्रतीक है।
नागयज्ञॊपवीतिनम् (naga-yagnopaveethanam): गणेश सर्प को पवित्र धागे के रूप में पहनते हैं। सर्प ज्ञान और शक्ति का प्रतीक है।
बालॆन्दुविलसन्मौलिं (bhalendu-vilasa-mauli): गणेश के सिर पर बालचंद्र विराजमान है। बालचंद्र नवचंद्र का एक और नाम है, जो सृजन और नई शुरुआत का प्रतीक है।

Meaning:- I bow to the Lord of Ganas, who wears a girdle made of munja grass and with deer's skin, who wears serpent as sacred thread, and who wears the infant moon on his head.
 
अंबिकाहृदयानन्दं मातृभिः परिपालितम् ।
भक्तप्रियं मदॊन्मत्तं वन्दॆऽहं गणनायकम् ॥३॥
 
मौञ्जीकृष्णाजिनधरं: जो मौञ्जी से बनी जनेऊ धारण करने वाले काले रंग के कपड़े पहने हुए हैं।
नागयज्ञोपवीतिनम्: जो नाग की को जनेऊ की भांति पहने हुए हैं।
बालेन्दुविलसन्मौलिं: जिनके सिर पर बाल चंद्रमा की भांति विलसित हैं।
वन्देऽहं गणनायकं: मैं उस गणेश भगवान का वंदन करता हूं, जो गणों के नायक हैं।

Meaning:- I bow to the Lord of Ganas, who makes the heart of Parvati happy, who is looked after by his mother, and who likes devotees and is exuberant with zest.
 
चित्ररत्नविचित्रांगम् चित्रमालाविभूषितम् ।
चित्ररूपधरम् दॆवम् वन्दॆऽहं गणनायकम् ॥४॥
 
चित्ररत्नविचित्रांगम्: जिनका शरीर विभिन्न चमकदार रत्नों से भरपूर है।
चित्रमालाविभूषितम्: जो फूलों की अज्ञेय और विचित्र माला से युक्त हैं।
चित्ररूपधरम् दॆवम्: जो विभिन्न चमत्कारी रूप धारण करने वाले देवता हैं।
वन्देऽहं गणनायकम्: मैं उस गणेश भगवान का वंदन करता हूं, जो गणों के नायक हैं।

Meaning:- I bow to the Lord of Ganas, who is adorned with various precious gems, who wears a garland of flowers, and who takes on various beautiful forms.
 
गजवक्त्रम् सुरश्रेष्ठम् कर्णचामरभूषितम् ।
पाशांकुशधरम् दॆवं वन्दॆऽहं गणनायकम् ॥५॥
 
गजवक्त्रम्: जिनका मुख हाथी के मुख की भांति है।
सुरश्रेष्ठम्: जो सभी देवताओं में सर्वश्रेष्ठ हैं।
कर्णचामरभूषितम्: जिनके कानों में चामर जैसी भूषण हैं।
पाशांकुशधरम्: जिनके हाथ में पाश (रस्सी) और कुश धारण किए हुए हैं।
वन्देऽहं गणनायकम्: मैं उस गणेश भगवान का वंदन करता हूं, जो गणों के नायक हैं।
 
Meaning:- I bow to the Lord of Ganas, who has the face of an elephant, who is the greatest of the gods, who is adorned with fan-like ears, and who holds the rope and goad in his hands.
 
मूषिकॊत्तममारुह्य दॆवासुरमहाहवॆ ।
यॊद्धुकामम् महावीर्यम् वन्दॆऽहम् गणनायकम् ॥६॥
 
मूषिकोत्तममारुह्य: जो एक श्रेष्ठ मूषक (चूहा) पर सवार होकर चढ़ते हैं।
दॆवासुरमहाहवॆ: जो देवताओं और असुरों द्वारा बड़ी भांति पूजित होते हैं।
यॊद्धुकामम् महावीर्यम्: जो महावीर्य और योद्धा की इच्छा रखते हैं।
वन्देऽहम् गणनायकम्: मैं उस गणेश भगवान का वंदन करता हूं, जो गणों के नायक हैं।
Meaning:- I bow to the Lord of Ganas, who rides on the great mouse, who is greatly worshipped by devas and asuras, who is a desirable warrior with great valor.
 
यक्षकिन्नरगन्धर्व सिद्धविद्याधरैस्सदा ।
स्तूयमानं महात्मानं वन्दॆऽहं गणनायकम् ॥७॥
 
यक्षकिन्नरगन्धर्व: जो यक्ष, किन्नर, और गंधर्व आदि के द्वारा प्रस्तुत किए गए हैं।
सिद्धविद्याधरैः सदा: जो सदा सिद्धों और विद्याधरों द्वारा प्रशंसित होते हैं।
स्तूयमानं महात्मानं: जो महात्मा हैं और जिनकी प्रशंसा होती है।
वन्देऽहं गणनायकम्: मैं उस गणेश भगवान का वंदन करता हूं, जो गणों के नायक हैं।
Meaning:- I bow to the great-souled Lord of Ganas, who is always praised by Yakshas, Kinnaras, Gandharvas, Siddhars, and Vidyadharas.
 
सर्वविघ्नकरं दॆवं सर्वविघ्नविवर्जितम् ।
सर्वसिद्धिप्रदातारं वन्दॆऽहं गणनायकम् ॥८॥

 
सर्वविघ्नकरं दॆवं: जो सभी प्रकार के विघ्नों को दूर करने वाले देवता हैं।
सर्वविघ्नविवर्जितम्: जो स्वयं सभी विघ्नों से मुक्त हैं।
सर्वसिद्धिप्रदातारं: जो सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं।
वन्देऽहं गणनायकम्: मैं उस गणेश भगवान का वंदन करता हूं, जो गणों के नायक हैं।

Meaning:- I bow to the Lord of Ganas, who removes all types of obstacles, who is himself free from all obstacles, and who is the giver of all achievements. 

गणाष्टकमिदं पुण्यं भक्तितॊ यः पठॆन्नरः ।
विमुक्तस्सर्वपापॆभ्यॊ रुद्रलॊकं स गच्छति

 
this verse underscores the purifying and liberating power of reciting the Ganashthakam with sincerity and devotion. By seeking the blessings of Lord Ganesha, one can attain freedom from sins and reach a state of spiritual elevation symbolized by the abode of Lord Rudra (Shiva), who represents the highest consciousness and liberation. It emphasizes the transformative and elevating impact of devoutly engaging with sacred scriptures and prayers.
 
The verse emphasizes that those who recite or chant this octet with true devotion will be freed from all their sins and ultimately attain liberation or reach the abode of Lord Rudra (Shiva). Lord Ganesha is considered the remover of obstacles and a deity who bestows auspiciousness.
 
 


गणेश अष्टकम | Shri Ganesha Ashtakam With Lyrics | Ganesh Chaturthi Special 2023 |Rattan Mohan Sharma

 
गणेश अष्टकम एक संस्कृत भजन है जो हिंदू देवता गणेश की स्तुति में लिखा गया है। यह भजन आठ श्लोकों में विभाजित है, प्रत्येक श्लोक में गणेश के एक विशेष गुण या रूप का वर्णन किया गया है। गणेश अष्टकम का समग्र अर्थ यह है कि गणेश एक शक्तिशाली और दयालु देवता हैं जो सभी के लिए मार्गदर्शक और सहायक हैं। वे ज्ञान, बुद्धि, और बाधाओं को दूर करने के देवता हैं।
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