कुछ कर्म जगत में कर ऐसे तेरे तीनों लोक

कुछ कर्म जगत में कर ऐसे तेरे तीनों लोक संवर जायें

कुछ कर्म जगत में कर ऐसे,
तेरे तीनों लोक संवर जायें,
तू हँसे ये जग रोये पगले,
जब सफर ये ख़तम हो जाए,
कुछ कर्म जगत में कर ऐसे,
तेरे तीनों लोक संवर जायें।।

पैसा पैसा तूने जोड़ा यहाँ,
मन का तूने चैन भी खोया है,
जब काम न आये अंत समय,
बेकार ये सारी माया है,
प्रभु भक्ति में इस मन को लगा,
शायद भगवान मिल जाये,
कुछ कर्म जगत में कर ऐसे,
तेरे तीनों लोक संवर जायें।।

तन को तूने धोया मल मल कर,
मन को तू साफ न कर पाया,
गया गंगा नहाने को जब भी,
संग पाप की गठरी ले आया,
मुख से जो तू बोले हरि हरि,
भवसागर पल में तर जाये,
कुछ कर्म जगत में कर ऐसे,
तेरे तीनों लोक संवर जायें।।

ये जीवन एक छलावा है,
कभी दुख तो कभी सुख आना है,
चाहे रात हो काली अंधियारी,
एक दिन तो सवेरा आना है,
अपनी मंजिल को वो पाता,
जो सतमार्ग जो अपनाये,
कुछ कर्म जगत में कर ऐसे,
तेरे तीनों लोक संवर जायें।।


Kuchh karam jagat me kar aise / Nirguni Bhajan by Pujya Shri Ashok Krishna Thakur Ji Maharaj

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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