कमाले चाहे नर हीरे मोती कफन में जेब नहीं होती

कमाले चाहे नर हीरे मोती कफन में जेब नहीं होती

कमाले चाहे नर हीरे मोती,
कफ़न में जेब नहीं होती।
कफ़न में जेब नहीं होती,
कफ़न में जेब नहीं होती।
कमाले चाहे नर हीरे मोती,
कफ़न में जेब नहीं होती।।

चाहे तू खा ले पूड़ी कचौड़ी,
चाहे तू खा ले सूखी रोटी,
भूख सब एक जैसी होती,
कफ़न में जेब नहीं होती।।

चाहे ओढ़ ले शाल दुशाला,
चाहे ओढ़ ले फटी चादरा,
नींद सब एक जैसी होती,
कफ़न में जेब नहीं होती।।

चाहे तू बन जा भाट भिखारी,
चाहे तू बन अंबानी~अडानी,
इज़्ज़त एक जैसी होती,
कफ़न में जेब नहीं होती।।

चाहे बैठ जा घोड़ा गाड़ी,
चाहे बना ले महल अटारी,
अंत डोली सबकी एक जैसी,
कफ़न में जेब नहीं होती।।


।। कमाले चाहे हीरे मोती कफन में जेब नहीं होती।। KAMALE CHAHE HEERE MOTI KAFAN ME JEB NAHI HOTI ।।

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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