श्री कृष्ण की लीलाएं अद्भुत, रहस्यमय और अकल्पनीय हैं। वे अपने बाल्यकाल से ही अपने चमत्कारों से सभी को आश्चर्यचकित करते रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन में कई प्रकार की लीलाएं कीं, जिनमें से कुछ प्रमुख लीलाएं इस प्रकार हैं: जन्म लीला: श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था। उनके जन्म से पहले कंस को भविष्यवाणी हुई थी कि उसकी मृत्यु एक बालक के हाथों होगी। इसलिए, कंस ने अपने सभी पुत्रों को मार डाला। कृष्ण के जन्म के बाद, उन्हें गोकुल में यशोदा और नंद के घर छोड़ दिया गया।
तेरी माया का ना पाया कोई पार कृष्णा जन्माष्टमी भजन
तेरी माया का ना पाया कोई पार, की लीला तेरी तूही जाने, तू ही जाने, ओ श्यामा तू ही जाने, सारी दुनिया के सृजनहार, के लीला तेरी तूही जाने।
बंदी ग्रह मे जन्म लिया, और पल भर वहाँ ना ठहरा, टूट गये सब ताले सो गये, देते थे जो पहरा, आया अम्बर से संदेश। मानो वासुदेव आदेश, बालक लेके जाओ नंद जी के द्वार, के लीला तेरी तूही जाने।
बरखा प्रबल चँचला चपला, कंस समान डरावे, ऐसे मे शिशु को लेकर, कोई बाहर कैसे जाएं, प्रभु का सेवक शेषनाग, देखो जागै उसके भाग, उसने फण पे रोका बरखा का भार, के लीला तेरी तूही जाने।
वासुदेव जी हिम्मत हारे, देख चढ़ी जमुना को,
चरण चूमने की अभिलाषा, की हिमगिरी ललना को, तुने पग सुकुमार दिये, पानी में उतार, छू के रस्ता बन गई यमुना की धार, के लीला तेरी तूही जाने।
नंद के घर पहुँचे यशोदा को, भाग्य से सोता पाया, कन्या लेकर शिशु छोड़ा तो, हाये रे मन भर आया, कोई हँसे चाहे रोये, तू जो चाहे वही होय, सारी बातो पे तुझे है अधिकार, के लीला तेरी तूही जाने।
लौ आगई राक्षसी पूतना, माया जाल बिछाने, माँ से बालक छीन के ले गई, बिष भरा दूध पिलाने, तेरी शक्ति का अनुमान, कर ना पाई वो नादान, जिस को मारा तुने उसको दिया तार, के लीला तेरी तूही जाने।
मात यशोदा कहती रही, नटखट कान्हा चंचल से, आज नही छोडूंगी तुझको बांधुंगी ओखल से, मैया जितना बांधती कसती, छोटी पड़ जाती थी रस्सी, वो तो खेच खेच रस्सी को गई हार,
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के लीला तेरी तूही जाने।
डपट रही जब मैया ललना काहे माटी खायौ, खोल के तुमने मुख को अपने तब ब्रँहान्ड दिखायौ, मात यशोदा लीन्ही जान तुम हो साछात भगवान, हमतो इतना जाने विष्णु के अवतार, के लीला तेरी तूही जाने।
किर्णाव्रत को लात पड़ी तो मटकी मे जा अटका, दैत्य को दुध दही से नहला के चूल्हे मे दे पटका, फ़िर भी ना माना बदमाश प्रभु को ले पहुँचा आकाश, है वही उसका किया रे संहार, के लीला तेरी तूही जाने।
काकासुर की पकड़ के गर्दन जब तुने था फेंका, गिरता पड़ता असुर वो सीधा कंस सभा मे पहुँचा, बोला कंस से वो राजन बालक नही है वो साधारण, मुझको लगता वो हरी का अवतार, तेरी माया का ना पाया कोई पार, के लीला तेरी तूही जाने।
काम ना चलता था जहाँ पे
धनुष से और बाणों से, तुमने जीती वो बाजी भी मुरली की तानो से, तु ही हार तु ही जीत तु ही सुर तु हि संगीत, तु ही पायल तु ही पायल की झंकार, तेरी माया का ना पाया कोई पार, के लीला तेरी तूही जाने।
भक्त हूँ मै और तु है भगवन मैं नर तू नारायण, क्या समझूंगा माया तेरी, मैं नर हूँ साधारण, भगवन मै मुर्ख नादान, तुमको तिहुं लोक का ज्ञान, तु ही कण कण मे समाया निराकार, के लीला तेरी तूही जाने।
अधरों पे सोहे बाँसुरीया काँधे कम्बल काली, सांवली सुरतीया पर मैं तो बल बल जाऊ सांवरियां, तु है नंद बाबा की जान तेरी जय हो कृष्ण भगवान, तेरे गुण गाये ये सारा संसार, तेरी माया का ना पाया कोई पार, के लीला तेरी तूही जाने।
नैनो मे करुणा का काजल बाजे छम छम पायल, शीश पे मोर मुकुट सोहे और कान मे सोहे कुंडल, कान्हा तेरा रुप सलोना जैसे चमके कोई सोना, सबके मन पे मोहन तेरा अधिकार, के लीला तेरी तूही जाने।
मधुबन को करते है सुगंधित बाल तेरे घुंघराले, लेहर लेहर तेरे रुप की प्यासी मोहन मुरली वाले, तुझ पे तन मन वारे राधा तेरी दरश दीवानी मीरा, चंदा तारे करे तेरा शृंगार, तेरी माया का ना पाया कोई पार, के लीला तेरी तूही जाने।
मथुरा मे है तु ही मोहन तु ही वृंदावन मे, तु ही कुंज गलीन को वासी तू ही गोवर्धन मे, तू ही ठुमके नंद भवन मे तू ही चमके नील गगन मे, करता रास तु ही जमुना के पार, के लीला तेरी तूही जाने।
तेरी माया का ना पाया कोई पार, की लीला तेरी तु ही जाने॥ तु ही जाने ओ श्यामा तु ही जाने, सारी दुनिया के सिर जन हार, के लीला तेरी तूही जाने।