कबीर गर्व न कीजिये रंक न हंसिये कोय मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning

कबीर गर्व न कीजिये रंक न हंसिये कोय मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit

कबीर गर्व न कीजिये, रंक न हंसिये कोय
अजहूं नाव समुद्र में, ना जानौं क्या होय
 
Kabir Garv Na Kijiye Rank Na Hansiye Koy,
Ajahu Naav Samudra Me Jaano Kya Hoy.
 
कबीर गर्व न कीजिये रंक न हंसिये कोय मीनिंग Kabir Garv Na Kijiye Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

साहेब ने जीवन की नश्वरता के प्रति लोगों को सचेत किया है और कहा है की लोगों को कभी भी अपने से निम्न स्तर के व्यक्ति का हास्य नहीं करना चाहिए, सभी इश्वर की संतान ही हैं. जो लोग कमजोर लोगों का मजाक उड़ाते हैं वे वास्तव में अभिमानी हैं, उन्हें कबीर साहेब कहते हैं की अभी भी नाव तो समुद्र में ही है, ना जाने क्या हो जाए. इसलिए सभी को समान समझ कर हरी के नाम का सुमिरन करना ही मुक्ति का द्वार है. 
 
संत कबीरदास जी के इस दोहे में उन्होंने अहंकार के खतरे और जीवन की अनिश्चितता के बारे में बताया है। कबीरदास जी कहते हैं कि हमें अपनी उपलब्धियों पर अहंकार नहीं करना चाहिए। हमें दूसरों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिए, चाहे वह कितना भी निर्धन क्यों न हो। हमारा जीवन एक अनिश्चित यात्रा है। हम नहीं जानते कि आगे क्या होगा। इसलिए हमें हमेशा विनम्रता और दयालुता से पेश आना चाहिए।
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