केसों कहा बिगाड़िया जो मुँडै सौ बार हिंदी मीनिंग Keso Kaha Bigadiya Meaning: Kabir Ke Dohe Hindi Meaning / Kabir Ke Dohe
केसों कहा बिगाड़िया, जो मुँडै सौ बार।
मन को काहे न मूंडिये, जामैं बिषय-बिकार॥
Keso Kaha Bigadiya, Jo Munde So Bar,
Man Ko Kaha Na Mundiye, Jame Vishay Vikar
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
साहेब ने सन्देश दिया है की हमें सांकेतिक कार्यों के स्थान पर सूक्ष्म उपायों पर बल देना चाहिए. भक्ति के नाम पर व्यक्ति बालों को मूंडता है, वेशभूषा को ग्रहण करता है लेकिन इससे कोई लाभ नहीं होने वाला है. हमें बालों को साफ़ करने के स्थान पर अपने मन की तरफ ध्यान देना चाहिए क्योंकि इसमें ही विषय और विकार भरे पड़े हैं. कबीर इस दोहे में हमें भक्ति के वास्तविक स्वरूप के बारे में बताते हैं। वे कहते हैं कि भक्ति केवल बाहरी दिखावे में नहीं है, बल्कि यह तो मन की शुद्धि है। पहली पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि बेचारे इन बालों ने क्या बिगाड़ा तुम्हारा। कबीर कहते हैं कि बालों ने कुछ नहीं बिगाड़ा है। दूसरी पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि अपने मन को मूँड़ो न, उसे साफ करलो न। कबीर कहते हैं कि मन को साफ करना चाहिए। तीसरी पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि जिसमें विषयों के विकार-ही-विकार भरे पड़े हैं। कबीर कहते हैं कि मन में विषयों के विकार भरे पड़े हैं।
अतः हमें स्वंय का विश्लेषण करना चाहिए और अपने विषय विकारों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए. मन में ही तमाम विषय और विकार हैं. जब हम अपने मन से लोभ और तृष्णा, अहंकार आदि विकारों को दूर कर देते हैं जो भक्ति का मार्ग सुगम हो जाता है. सही मायनों में कबीर साहेब का यह सन्देश आज भी उपयोगी है.
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