मैं-मैं बड़ी बलाइ है सकै तो निकसो भाजि मीनिंग Main Main Badi Balai Meaning

मैं-मैं बड़ी बलाइ है सकै तो निकसो भाजि मीनिंग Main Main Badi Balai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit.

मैं-मैं बड़ी बलाइ है, सकै तो निकसो भाजि ।
कब लग राखौ हे सखी, रूई लपेटी आगि ॥
 
Main Main Badi Balai Hai, Sake To Nikaso Bhaji,
Kab Lag Rakho Hey Sakhi, Rui Lapeti Aagi.
 
मैं-मैं बड़ी बलाइ है सकै तो निकसो भाजि मीनिंग Main Main Badi Balai Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में कबीर साहेब निज अहंकार के विषय में बताते हैं की मैं/ अहम् एक बड़ी समस्या है एक बड़ी बला है. हो सके तो शीघ्र ही इससे मुक्त हो जाओ. जैसे हम आग को रुई में ज्यादा देर तक लपेटकर नहीं रख सकते हैं ऐसे ही अहम् रूपी विकार यदि हम नहीं छोड़ते हैं तो यह हमें जला देगा. कबीर इस दोहे में हमें अहंकार के बारे कहते हैं कि अहंकार एक बहुत बड़ी समस्या है। इससे निकलकर भागना चाहिए। पहली पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि मैं -मैं बहुत बड़ी बला है। कबीर कहते हैं कि अहंकार एक बहुत बड़ी समस्या है। दूसरी पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि इससे निकलकर भाग सको तो भाग जाओ। कबीर कहते हैं कि अहंकार से बचना चाहिए। तीसरी पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि रुई में आग को लपेटकर तू कबतक रख सकेगी? कबीर कहते हैं कि अहंकार को छुपाया नहीं जा सकता। चौथी पंक्ति में, कबीर कहते हैं कि राग की आग को चतुराई से ढककर भी छिपाया और बुझाया नहीं जा सकता। कबीर कहते हैं कि अहंकार एक ऐसी आग है जिसे किसी भी तरह नहीं बुझाया जा सकता।

कबीर का दोहा हमें यह उपदेश देता है कि हमें अहंकार से बचना चाहिए। अहंकार एक ऐसी समस्या है जो हमें बहुत नुकसान पहुंचा सकती है। कबीर का यह दोहा हमें अहंकार के खतरे के बारे में सोचने में मदद कर सकता है। यह हमें यह याद दिलाता है कि हमें अहंकार से बचना चाहिए।
 
अतः इस दोहे का मूल भाव है की भक्ति मार्ग में और जीवन के कल्याण के राह में अहंकार ही सबसे बड़ा बाधक है. अहम् के वश में आकर व्यक्ति विवेक को खो बैठता है और सांसारिक विकारों में लिप्त हो जाता है.


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