पढि पढि और समुझावइ खोजि न आप सरीर हिंदी मीनिंग Padhi Padhi Aur Samujhavai Meaning

पढि पढि और समुझावइ खोजि न आप सरीर हिंदी मीनिंग Padhi Padhi Aur Samujhavai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Bhavarth Sahity.

पढि पढि और समुझावइ, खोजि न आप सरीर
आपहि संशय में पड़े, यूं कहि दास कबीर
 
Padhi Padhi Aur Samujhavai, Khoji Na Aap Sharir,
Aapahi Sanshay Me Pade, Yu Kahi Das Kabir.
 
पढि पढि और समुझावइ खोजि न आप सरीर हिंदी मीनिंग Padhi Padhi Aur Samujhavai Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi



कबीर साहेब कहते हैं की किताबी ज्ञान का कोई महत्त्व नहीं है जब तक इसे अपने जीवन में ना उतारा जाए। किताबी ज्ञान को धारण करने वाले व्यक्ति बहुत सी किताबों को पढ़ कर सुचानाओं को एकत्रित कर लेते हैं लेकिन उन्हें समझते नहीं हैं, अपने तन मन का विश्लेषण करने के स्थान पर वे इसे दूसरों को ज्ञान बाटने में ही लगे रहते हैं, ऐसे में वे स्वंय दुविधा में ही पड़े रहते हैं। अतः महत्वपूर्ण है की गुरु के बताये गए मार्ग का अनुसरण करते हुए ईश्वर के नाम का नित्य सुमिरन ही मुक्ति का मार्ग है और इसी से जीवन का उद्देश्य सिद्ध हो पाता है।

इस दोहे से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने जीवन में सत्य को खोजने के लिए स्वयं प्रयास करना चाहिए। हमें किताबों से ज्ञान प्राप्त करना चाहिए, लेकिन हमें उस ज्ञान को अपने जीवन में उतारना चाहिए। दूसरों को ज्ञान बांटने, उपदेश देने से पूर्व स्वंय की खोज करनी चाहिए।

कबीरदास जी कहते हैं कि लोग लोग किताबें पढ़कर दूसरों को समझाते हैं पर अपने जीवन में सत्य को नहीं खोज पाते। ऐसा करके लोग स्वंय को एक संशय में डाल लेते हैं, चूँकि वे अपने जीवन में उसका पालन नहीं करते हैं। ऐसे पढ़ने वाले स्वयं ही संशय में पड़े होते हैं वह भला और लोगों को क्या मार्ग दिखायेंगे। इस दोहे में कबीरदास जी हमें बता रहे हैं कि ऐसे लोग जो स्वयं अपने जीवन में सत्य को नहीं खोज पाते हैं, वे दूसरों को भी सही मार्ग नहीं दिखा सकते हैं। वे केवल भ्रम फैला सकते हैं।
 
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