दास कहावन कठिन है मैं दासन का दास हिंदी मीनिंग Daas Kahavan Kathin Hai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit
दास कहावन कठिन है, मैं दासन का दास |अब तो ऐसा होय रहूँ, पाँव तले कि घास ||
Das Kahavan Kathin Hai, Main Dasan Ka Daas,
Aub To Aisa Hoy Rahu, Paanv Tale Ki Ghaas.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
दास कहावन कठिन है, मैं दासन का दास- कबीर दास जी कहते हैं कि सच्चा दास बनना बहुत कठिन है, भक्ति का मार्ग विकट है। सच्चा दास वह है जो अपने स्वामी के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दे, उसके लिए जीने और मरने को तैयार रहे। ऐसे दास को कोई भी सम्मान देता है, उसे लोग अपना आदर्श मानते हैं। कबीर साहेब कहते हैं की दास बनाना/कहलवाना बहुत अधिक कठिन है लेकिन वे तो दासों के भी दास हैं. भक्ति में अब साधक की स्थिति ऐसे हो गई है जैसे की पांवों तले के घास होती है.
कबीर दास जी कहते हैं कि अब मैं ऐसा दास बन जाऊंगा जो अपने स्वामी के लिए किसी भी हद तक स्वंय के अभिमान को दूर कर पाते हैं। सच्चा दास तो पांवों तले की घास की भाँती अभिमान/मान सम्मान मुक्त होता है.
कबीर दास जी कहते हैं कि अब मैं ऐसा दास बन जाऊंगा जो अपने स्वामी के लिए किसी भी हद तक स्वंय के अभिमान को दूर कर पाते हैं। सच्चा दास तो पांवों तले की घास की भाँती अभिमान/मान सम्मान मुक्त होता है.