पावकरूपी राम है घटि-घटि रह्या समाइ हिंदी मीनिंग Pavakrupi Ram Hai Meaning

पावकरूपी राम है घटि-घटि रह्या समाइ हिंदी मीनिंग Pavakrupi Ram Hai Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

पावकरूपी राम है, घटि-घटि रह्या समाइ।
चित चकमक लागै नहीं, ताथै धूवाँ ह्वै-ह्वै जाइ॥
 
Pavakrupi Ram Hai, Ghati Ghati Rahya Samai,
Chitt Chakmak Lage Nahi, Tathe Dhuva Hve Hve Jai.
 
पावकरूपी राम है घटि-घटि रह्या समाइ हिंदी मीनिंग Pavakrupi Ram Hai Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi


कबीर साहेब कहते हैं की चित्त/हृदय चकमक पत्थर की तरह से है और चकमक से अग्नि तभी उत्पन्न होती है जब उसे किसी अन्य पत्थर से रगड़ा जाता है, संघर्ष करवाया जाता है। इसी तरह, जब व्यक्ति का ध्यान इश्वर पर केंद्रित होता है, तो वह राम की उपस्थिति को महसूस कर सकता है। कबीर दास जी इस दोहे के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि राम का साक्षात्कार एक वास्तविक घटना है। यह एक ऐसी घटना है जो ध्यान और साधना के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। यदि चित्त में संत की शिक्षाओं से घर्षण ना हो, चोट ना लगे तो बस धुआ ही धुआ होता है अग्नि व्याप्त नहीं होती है. भक्ति रूपी अग्नि तभी प्रज्वल्लित होगी जब गुरु की शिक्षाओं से मान्यताओं और सिधान्तों पर चोट होती है.

चित्त की प्रवृतिया इश्वर केन्द्रित नहीं होने पर हरी के दर्शन संभव नहीं हो पाता है। कबीर दास जी कहते हैं कि जब व्यक्ति का ध्यान सांसारिक विषयों पर होता है, तो वह भक्ति नहीं कर पाता है जैसे की चकमक के अभाव में अग्नि नहीं होती है। जब व्यक्ति का ध्यान इश्वर पर केंद्रित होता है, तो वह उसकी उपस्थिति को महसूस कर सकता है। भाव है की जिस हृदय में हरी नाम की लगन नहीं लगी है वह हरी को समझ नहीं सकता है। कबीर दास जी कहते हैं कि राम अग्नि के समान हैं, जो हर व्यक्ति के हृदय में समाए हुए हैं। लेकिन अगर व्यक्ति का ध्यान राम पर नहीं केंद्रित होता है, तो वह राम को नहीं देख सकता। कबीर दास जी के अनुसार, राम का साक्षात्कार एक ऐसी घटना है जो ध्यान और साधना के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। जब व्यक्ति का ध्यान राम पर केंद्रित होता है, तो वह राम की उपस्थिति को महसूस कर सकता है।

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