सतगुरु बपुरा क्या करे जे शिषही माँहि चूक हिंदी मीनिंग Satguru Bapura Kya Kare Je Shishi Mahi Chook Hindi Meaning
सतगुरु बपुरा क्या करे, जे शिषही माँहि चूक।
भावै त्यूँ प्रमोद लै, ज्यूं बंसि बजाई फूक ॥
भावै त्यूँ प्रमोद लै, ज्यूं बंसि बजाई फूक ॥
Sataguru Bapura Kya Kare, Je Shishahee Maanhi Chook.
Bhaavai Tyoon Pramod Lai, Jyoon Bansi Bajaee Phook.
Satguru Bapura Kya Kare Hindi Meaning
सतगुरु बपुरा क्या करे शब्दार्थ - बपुरा - बेचारा, सिषही - शिष्य में ही, चूक - कमी प्रबोध प्रबोध, ज्ञात, बंसी-वंशी।सतगुरु बपुरा क्या करे दोहे हिंदी मीनिंग: सतगुरु / गुरु राह दिखा सकता है की किस राह का अनुसरण किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है की मात्र गुरु से ही शिष्य का कल्याण होने वाला है। शिष्य की व्यक्तिगत मेहनत और प्रयत्न ही यह निश्चित करते हैं की उसे कितनी सफलता मिलती है। जैसे यह बताया जा सकता है की बांसुरी में फूँक मारकर संगीत पैदा किया जा सकता है लेकिन उससे अनेको अनेक सुर निकलना शिष्य की व्यक्तिगत योग्यता पर ही निर्भर करता है। बांसुरी में कोई एक सुर नहीं है विविध हैं यह रियाज पर निर्भर है। ऐसे ही भक्ति भी कोई आसान कार्य नहीं है। शीश काटकर हाथ में धरने का यही अभिप्राय है की इसमें भी आत्मानुशासन और मेहनत लगती है। अपने अहम् को समाप्त करना पड़ता है तब कहीं जाकर वह भक्ति मार्ग की और अग्रसर हो पाता है। यदि शिष्य में ही कोई खोट है तो इसमें गुरु का कोई दोष नहीं है।
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गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मिटै न दोष।। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति सम्भव नहीं है और गुरु के बिना मोक्ष भी नहीं मिलता है गुरु के बिना सत्य की पहचान नहीं होती है और के बिना मन का भ्रम भी गुरु दूर नहीं होता है।
बारहपदी रमैणी
पहली मन में सुमिरौ सोई, ता सम तुलि अवर नहीं कोई ।
कोई न पूजै बासूँ प्राना, आदि अंति वो किनहूँ न जाना ।
रूप सरूप न आवै बोला, हरू गरू कछू जाइ न तोला ।
भूख न त्रिषा धूप नहीं छांही, सुख दुख रहित रहै सब मांही ।
अविगत अपरंपार ब्रह्म, ग्यान रूप सब ठाम ।
बहु बिचारि करि देखिया, कोई न सारिख राम ।