साँझ पड़ी दिन ढल गया, बधिन घेरी गाय मीनिंग Sanjh Padi Din Dhal Gaya Meaning
साँझ पड़ी दिन ढल गया, बधिन घेरी गाय |गाय बिचारी न मरी, बधि न भूखी जाय ||
Sanjh Padi Din Dhal Gaya, Badhin Gheri Gaay,
Gaay Bichari Na Mari, Badhi Na Bhukhi Jaay.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब इस दोहे के माध्यम से सन्देश देते हैं की जीवन रूपी दिन अब ढल गया है, अवसान पर है. जवानी बीत चुकी है और बुढापा आने लगा है. मृत्यु रूपी शेरनी ने जीवन (आत्मा) रूपी गाय को घेर लिया है. अविनाशी आत्मा का काल रूपी शेरनी कुछ नहीं बिगाड़ सकती है और वह उसका शिकार नहीं कर पाती है जिससे शेरनी / काल भूखा ही रह जाता है. आशय है की आत्मा अजर अमर है. उसे काल अपना शिकार नहीं बना सकती है. वह स्वतंत्र है और काल से ऊपर है, वह अजर है, अमर है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |