प्रीति रीति सब अर्थ की परमारथ की नहिं हिंदी मीनिंग Preeti Reeti Sab Arth Ki Meaning: Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth
प्रीति रीति सब अर्थ की, परमारथ की नहिं |
कहैं कबीर परमारथी, बिरला कोई कलि माहिं ||
Preeti Reeti Sab Arth Ki, Parmarath Ki Nahi,
Kahe Kabir Parmarthi, Birala Koi Kali Mahi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
कबीर साहेब इस दोहे में कहते हैं की संसार में प्रेम/प्रीती अर्थ (धन दौलत) की है। संसार की प्रीति में स्वंय का कल्याण ही निहित है। इसमें दूसरों की भलाई और जगत कल्याण की भावना निहित नहीं होती है। कबीर साहेब कहते हैं की परमार्थ की भावना रखने वाला कोई बिरला ही होता है, इस कलयुग में।
गुरु कबीर दास जी इस दोहे में संसारी प्रेम की वास्तविकता को उजागर करते हैं। वे कहते हैं कि संसार में लोग केवल स्वार्थ के लिए ही प्रेम करते हैं। उनका प्रेम परमार्थ के लिए नहीं होता है। इस दोहे का पहला भाग कहता है कि संसार में प्रेम की सभी रीतियाँ अर्थ के लिए हैं। लोग दूसरों से प्रेम केवल इसलिए करते हैं ताकि वे उनसे कुछ प्राप्त कर सकें। वे दूसरों की मदद करने या उनका भला करने के लिए प्रेम नहीं करते हैं। इस दोहे का सन्देश है की हमें जगत कल्याण की भावना रखते हुए लोगों का भला करना चाहिए. मानवीय दृष्टिकोण से ही हम भक्ति के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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