सूम सदा ही उद्धरे दाता जाय नरक्क मीनिंग

सूम सदा ही उद्धरे दाता जाय नरक्क मीनिंग Sum Sata Hi Uddhare, Jay Narak Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

सूम सदा ही उद्धरे, दाता जाय नरक्क |
कहैं कबीर यह साखि सुनि, मति कोई जाव सरक्क ||
 
Sum Sada Hi Uddhare, Data Jaay Narak,
Kahe Kabir Yah Sakhi, Mati Jave Jaav Sarak.
 
सूम सदा ही उद्धरे दाता जाय नरक्क मीनिंग Sum Sata Hi Uddhare, Jay Narak Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब इस साखी में वर्णन करते हैं की जो व्यक्ति अपने वीर्य को खर्च नहीं करता है, अपनी शक्ति को सुरक्षित रहता है वह तो / सूम उद्धार को प्राप्त करता है। आशय है की जो अपनी शक्ति को व्यर्थ में गवाता नहीं है वह अवश्य ही सफल होता है।  दूसरे तरफ साहेब कहते हैं वीर्य का दान करने वाला, वीर्य को खर्च करने वाला नरक का भागी बनता है। साहेब कहते हैं की इस साखी को सुनने के उपरान्त पतित मार्ग का अनुसरण मत करो।

अतः इस दोहे में कबीर साहेब सन्देश देते हैं की विषय विकार से दूर रहने वाला ही कल्याण के मार्ग पर अग्रसर होता है।  इस साखी में कबीर दास जी वीर्य के महत्व और उसके दुरुपयोग के बारे में बात करते हैं। इस साखी का पहला भाग कहता है कि वीर्य एक शक्तिशाली ऊर्जा है जो शरीर और मन को स्वस्थ रखती है। जब वीर्य का दुरुपयोग होता है, तो यह शरीर और मन को नुकसान पहुंचाता है। दोहे का दूसरा भाग कहता है कि वीर्य का दान करने वाला व्यक्ति नरक में जाता है। इसका अर्थ है कि वीर्य का दुरुपयोग करने वाला व्यक्ति पाप करता है, और उसे इसके लिए दंड मिलता है। कबीर दास जी इस साखी के माध्यम से हमें यह सीख देते हैं कि हमें वीर्य के महत्व को समझना चाहिए और इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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