ऊनै आई बादरी बरसन लगा अंगार हिंदी मीनिंग

ऊनै आई बादरी बरसन लगा अंगार हिंदी मीनिंग Une Aai Badari Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth

ऊनै आई बादरी, बरसन लगा अंगार |
उठि कबीरा धाह दै, दाझत है संसार ||
 
Une Aai Badari, Barsan Laga Angar,
Uthi Kabira Dhah De, Dajhat Hai Sansar.
 
ऊनै आई बादरी बरसन लगा अंगार हिंदी मीनिंग Une Aai Badari Meaning

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

कबीर साहेब जी इस दोहे में अज्ञानता के प्रभाव को समझाते हुए कहते हैं की उने की बादरी, अज्ञानता की बदली (बादल) ने व्यक्ति को घेर लिया है। अज्ञानता के कारण विषय विकारों की चारों तरफ एक तरह से बारिश होने लगी है। कबीर साहेब इसे समझ रहे हैं और कबीर साहेब उठकर धाह देते हैं / चिल्ला कर कहते हैं यह तो सम्पूर्ण संसार ही इसमें जलने लगा है। आशय है की ज्ञान के अभाव में व्यक्ति विषय विकारों में घिर कर जलने लगा है।  इस साखी में कबीर दास जी अज्ञान और काम-वासना के विनाशकारी प्रभावों के बारे में बात करते हैं। इस साखी का पहला भाग कहता है कि अज्ञान की एक बादल ने जीव को घेर लिया है। इसका अर्थ है कि जीव अज्ञान में डूब गया है, और वह काम-वासना के लालच में फंस गया है। 
 
दोहे का दूसरा भाग कहता है कि काम-वासना की कल्पनाएं अंगार की तरह हैं जो जीव को जला रही हैं। इसका अर्थ है कि काम-वासना की कल्पनाएं जीव को दुख और पीड़ा दे रही हैं। काम - कल्पना रुपी अंगार बरसने लगा है से आशय है की समस्त कष्ट और संताप का कारण अज्ञानता ही है। साहेब सभी को इसके बारे में समझाते हैं की सम्पूर्ण संसार ही इस अग्नि में दग्ध हो रहा है।
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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