हमने ब्रज के ग्वाले से अपना दिल लगाया

हमने ब्रज के ग्वाले से अपना दिल लगाया

हमने ब्रज के ग्वाले से अपना दिल लगाया है,
नींद भी गवाई है चैन भी गवाया है,
हमनें ब्रज के ग्वाले से अपना दिल लगाया है

दिल मेरा बेकाबू हो जाता है उस पर,
देखता है मेरी तरफ और मुस्कुराता है,
हमनें ब्रज के ग्वाले से अपना दिल लगाया है

कई बार चाहा उसे हाले दिल सुनाऊ मैं,
होंठ मेरे खुल ना सके सामने जो आया है,
हमनें ब्रज के ग्वाले से अपना दिल लगाया है

सब ये समझते है वो बांसुरी बजाता है,
पर उसने इशारों से हमको बुलाया है,
हमनें ब्रज के ग्वाले से अपना दिल लगाया है

हमने ब्रज के ग्वाले से अपना दिल लगाया है,
नींद भी गवाई है चैन भी गवाया है,
हमनें ब्रज के ग्वाले से अपना दिल लगाया है


Humne Braj Ke Gwale Se Apna Dil Lagaya He || SHRI DEVKINANDAN THAKUR JI MAHARAJ
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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