मेरे दिल की है ये आखिरी इल्तज़ा
मेरे दिल की है ये,
आखिरी इल्तज़ा,
मैं तुझे ढूंढ लूं,
तू जहां भी रहे,
मेरे सिर पे सदा,
तेरा हाथ हो,
मैं कहां भी रहु,
तू कहां भी रहे,
मेरे दिल की है ये,
आखिरी इल्तज़ा।
बूझ भी जाये सभी,
मेरे घर बत्तियां,
फिर भी जलती रहे,
ये अगरबतियाँ,
धड़कनों में तेरी,
लौ चमकती रहे,
चाहे फिर आंख में,
कुछ धुआँ भी रहे,
मेरे दिल की है ये,
आखिरी इल्तज़ा।
आदमी जो भी दे,
खत्म हो कर रहे,
साई ने जो दिया,
खत्म होता नहीं,
साई दौलत मगर,
सिर्फ उसको मिले,
जिसपे साई नजर,
मेहरबान भी रहे ,
मेरे दिल की है ये,
आखिरी इल्तज़ा।
लोग चाहे मेरा,
दिल जलाते रहे,
तेरा दीपक सदा,
मैं जलाती रहुं,
है मेरी आरजू,
हर अँधेरे में तू,
पास रह कर मेरा,
पास भी नहीं,
मेरे दिल की है ये,
आखिरी इल्तज़ा।
हर तरफ बिजलियाँ,
अब कड़कने लगी,
जैसे तूफ़ान सा,
कोई आने को है,
साई का नाम लो,
और दुआएं करो,
रास्ता भी रहे,
कारवां भी रहे,
मेरे दिल की है ये,
आखिरी इल्तज़ा।
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