सांई की नगरिया जाना है रे बंदे, सांई की नगरिया जाना है रे बंदे, जाना है रे बंदे, सांई कि नगरिया जाना है रे बंदे, जाना है रे बंदे,
जग नाही अपना, जग नाही अपना बेगाना है रे बंदे, जाना है रे बंदे जाना है रे बंदे, सांई की नगरिया जाना है रे बंदे, जाना है रे बंदे, सांई की नगरिया जाना है रे बंदे, जाना है रे बंदे, पत्ता टूटा डार से ले गयी पवन उड़ाय,
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi
पत्ता टूटा डार से ले गयी पवन उड़ाय, अब के बिछड़े ना मिलें दूर पड़ेंगे जाए, अब के बिछड़े ना मिलें दूर पड़ेंगे जाए, माली आवत देख कर कलियन करी पुकार, माली आवत देख कर कलियन करी पुकार, फूले फूले चुन लिए काल हमारी बार, फूले फूले चुन लिए काल हमारी बार, सांई की नगरिया जाना है रे बंदे,
जाना है रे बंदे, सांई की नगरिया जाना है रे बंदे, जाना है रे बंदे, चलती चाकी देख कर दिया कबीरा रोय, चलती चाकी देख कर दिया कबीरा रोय, दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा ना कोय,
सांई की नगरिया जाना है रे बंदे, सांई की नगरिया जाना है रे बंदे, जाना है रे बंदे, सांई कि नगरिया जाना है रे बंदे,
कबीर ने कर्मकांडों और हठधर्मिता का आँख बंद करके पालन करने के बजाय, ईश्वर के साथ एक व्यक्तिगत संबंध के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना था कि ईश्वर प्रत्येक व्यक्ति के भीतर है और व्यक्ति ध्यान और आत्म-प्रतिबिंब के माध्यम से परमात्मा का अनुभव कर सकता है। कबीर ने समानता की अवधारणा का प्रचार किया और उनका मानना था कि जाति, पंथ या धर्म की परवाह किए बिना सभी मनुष्य समान हैं।