हम कंचन हैं काँच नहीं हैं लिरिक्स Hum Kanchan Hain Kach Nahi Lyrics
हम कंचन हैं काँच नहीं हैं,
ले लो अग्नि परीक्षा,
सुख की नहीं कष्ट सहने की,
हमने ली है दीक्षा।
चाहे ठोक बजाकर देखो,
चटके पात्र नहीं हैं,
अंगारों में तपे हुए हैं,
मिट्टी मात्र नहीं हैं,
दृढ़ बनने के लिए सही है,
हमने बहुत उपेक्षा,
सुख की नहीं कष्ट सहने की,
हमने ली है दीक्षा।
हम हारे इन्सान नहीं हैं,
हम हैं वीर विजेता,
क्रांति रक्त में बहती है,
हम हैं इतिहास सृजेता,
तूफानों में पलने की,
हमने पायी है शिक्षा,
सुख की नहीं कष्ट सहने की,
हमने ली है दीक्षा।
श्री समृद्धि पाने को श्रम का,
सागर पुन मथेंगें,
अगर जरुरत होगी तारे,
तोड़ गगन से लेंगे,
है पुरुषार्थ प्रबल मांगेंगें,
कभी नहीं हम भिक्षा,
सुख की नहीं कष्ट सहने की,
हमने ली है दीक्षा।
उतरेंगें हम खरे सदा,
हर एक कसौटी पर ही,
पाञ्चजन्य का काम करेगा,
आज हमारा स्वर ही,
युग का वेदव्यास करेगा ,
अपनी कार्य समीक्षा,
सुख की नहीं कष्ट सहने की,
हमने ली है दीक्षा।
हम कंचन हैं काँच नहीं हैं ले लो अग्निपरीक्षा।।
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