हिन्दु भूमि की हम संतान देशभक्ति सोंग
हिन्दु भूमि की हम संतान देशभक्ति सोंग
हिन्दु भूमि की हम संतान,
नित्य करेंगें उसका ध्यान,
हिन्दु भूमि की हम संतान,
नित्य करेंगे उसका ध्यान,
नील गगन में लहराएंगे,
भगवा अमर निशान।
स्वार्थ छोड़कर सब अपना,
माया ममता का सपना,
नींद हमारी छोड़ें हम,
आगे कदम बढ़ायें हम,
कदम कदम पर हिल मिल गायें,
यह स्फूर्ती का गान।
झगड़े छोड़ें ऐक्य करें हम,
धर्म संस्कृति नही भूलें हम,
इतिहासों की साक्षी लें हम,
नरवीरों का स्मरण करें हम,
विपद स्थिति से मातृभूमि का,
करना है उत्थान।
संघ कार्य आसान नहीं है,
लेकिन डरना काम नहीं है,
निशदिन कष्ट उठाना है,
कार्य पूर्ति अब करना है,
मातृभूमि का मान बढाने,
होना है बलिदान।
रामचन्द्र की भूमि यही है,
नन्दलाल की भूमि यही है,
क्षात्र धर्म का तेज यही है,
मानवता का मोल यही है,
देश भक्त और नरवीरों का,
प्यारा हिन्दुस्थान।
हिन्दु भूमि की हम संतान,
नित्य करेंगे उसका ध्यान,
नील गगन में लहरायेंगे,
भगवा अमर निशान।
नित्य करेंगें उसका ध्यान,
हिन्दु भूमि की हम संतान,
नित्य करेंगे उसका ध्यान,
नील गगन में लहराएंगे,
भगवा अमर निशान।
स्वार्थ छोड़कर सब अपना,
माया ममता का सपना,
नींद हमारी छोड़ें हम,
आगे कदम बढ़ायें हम,
कदम कदम पर हिल मिल गायें,
यह स्फूर्ती का गान।
झगड़े छोड़ें ऐक्य करें हम,
धर्म संस्कृति नही भूलें हम,
इतिहासों की साक्षी लें हम,
नरवीरों का स्मरण करें हम,
विपद स्थिति से मातृभूमि का,
करना है उत्थान।
संघ कार्य आसान नहीं है,
लेकिन डरना काम नहीं है,
निशदिन कष्ट उठाना है,
कार्य पूर्ति अब करना है,
मातृभूमि का मान बढाने,
होना है बलिदान।
रामचन्द्र की भूमि यही है,
नन्दलाल की भूमि यही है,
क्षात्र धर्म का तेज यही है,
मानवता का मोल यही है,
देश भक्त और नरवीरों का,
प्यारा हिन्दुस्थान।
हिन्दु भूमि की हम संतान,
नित्य करेंगे उसका ध्यान,
नील गगन में लहरायेंगे,
भगवा अमर निशान।
नील गगन में लहरायेंगे,भगवा अमर निशान।Hindu bhoomi ki hum santaan
हिंदू भूमि के प्रति अगाध श्रद्धा और समर्पण का भाव हर संतान के हृदय में एक अमर ज्योति की तरह प्रज्वलित होता है। यह वह पवित्र धरती है, जहां स्वार्थ, माया और ममता के बंधनों को त्यागकर, प्रत्येक व्यक्ति अपने कदम मातृभूमि की सेवा में आगे बढ़ाता है। यह एकता और स्फूर्ति का गीत है, जो नींद और सुख को छोड़कर, निरंतर प्रयास और उत्साह के साथ गाया जाता है। इस भूमि का भगवा निशान नील गगन में लहराता है, जो न केवल एक प्रतीक है, बल्कि उस गौरवमयी इतिहास और संस्कृति का द्योतक है, जो नरवीरों के बलिदान और पराक्रम से सजा है। यह संकल्प हर पल मातृभूमि के उत्थान के लिए प्रेरित करता है, जहां झगड़े और मतभेदों को त्यागकर, धर्म और संस्कृति के प्रति अटूट निष्ठा के साथ एकजुटता का मार्ग अपनाया जाता है।
इस पवित्र कार्य का मार्ग सरल नहीं है, किंतु भय और संकोच इसमें बाधा नहीं बन सकते। यह वह भूमि है, जहां रामचंद्र और नंदलाल जैसे महान व्यक्तित्वों ने अवतार लिया, जहां क्षात्र धर्म का तेज और मानवता का मोल सदा जीवंत रहा है। मातृभूमि के मान को बढ़ाने के लिए कठिन परिश्रम, त्याग और बलिदान की आवश्यकता है। यह वह धरती है, जो देशभक्तों और नरवीरों के स्मरण से सदा प्रेरणा देती है। विपत्तियों के बीच भी, इस हिंदुस्थान की संतानें अपने इतिहास की साक्षी लेकर, संघर्ष और समर्पण के साथ कार्य पूर्ण करने का संकल्प लेती हैं। यह वह पावन भूमि है, जो विश्व में मानवता और धर्म के आदर्शों को स्थापित करती है, और इसका भगवा निशान सदा अमर रहकर गगन को आलोकित करता है।
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