जरा जोर से लगाओ जयकारा
जरा जोर से लगाओ जयकारा भजन
जरा जोर से लगाओ जयकारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
जरा जोर से लगाओ जयकारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
दौड़े चले आयेंगे,
वो भागे भागे आयेंगे।
आओ सजायें,
सांवरे की पालकी,
सांवरे की पालकी जी,
सांवरे की पालकी,
मिल जय बोलो श्री श्याम की,
वो तो दौड़े चले आयेंगे,
जरा जोर से लगाओ जयकारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
दौड़े चले आयेंगे,
वो भागे भागे आयेंगे।
घिसकर चंदन तिलक लगाओ,
सोने चांदी का मुकुट पहनाओ,
मेरे श्याम का सिंगार बड़ा प्यारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
जरा जोर से लगाओ जयकारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
दौड़े चले आयेंगे,
वो भागे भागे आयेंगे।
गंगाजल से स्नान कराओ,
मोगरा और इत्र लगाओ,
फिर देखो बाबा का नजारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
जरा जोर से लगाओ जयकारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
दौड़े चले आयेंगे,
वो भागे भागे आयेंगे।
भक्तों पर वो तो नजर डालता,
संकट पल में वो हर लेता,
देखो मोरछड़ी का नजारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
जरा जोर से लगाओ जयकारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
दौड़े चले आयेंगे,
वो भागे भागे आयेंगे।
जरा जोर से लगाओ जयकारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
दौड़े चले आयेंगे,
वो भागे भागे आयेंगे।
आओ सजायें,
सांवरे की पालकी,
सांवरे की पालकी जी,
सांवरे की पालकी,
मिल जय बोलो श्री श्याम की,
वो तो दौड़े चले आयेंगे,
जरा जोर से लगाओ जयकारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
दौड़े चले आयेंगे,
वो भागे भागे आयेंगे।
घिसकर चंदन तिलक लगाओ,
सोने चांदी का मुकुट पहनाओ,
मेरे श्याम का सिंगार बड़ा प्यारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
जरा जोर से लगाओ जयकारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
दौड़े चले आयेंगे,
वो भागे भागे आयेंगे।
गंगाजल से स्नान कराओ,
मोगरा और इत्र लगाओ,
फिर देखो बाबा का नजारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
जरा जोर से लगाओ जयकारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
दौड़े चले आयेंगे,
वो भागे भागे आयेंगे।
भक्तों पर वो तो नजर डालता,
संकट पल में वो हर लेता,
देखो मोरछड़ी का नजारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
जरा जोर से लगाओ जयकारा,
श्याम दौड़े चले आयेंगे,
दौड़े चले आयेंगे,
वो भागे भागे आयेंगे।
SSDN:-जरा जोर से लगाओ जयकारा श्याम दौड़े चले आएंगे | खाटू श्याम भजन 2023 | न्यू श्याम बाबा भजन
सांवरे की पालकी सजाना केवल भक्तिभाव का प्रतीक नहीं, बल्कि आत्मा को सुसज्जित करने का भी संकेत है। चंदन का तिलक और स्वर्ण रजित मुकुट उनका श्रृंगार नहीं, श्रद्धा का दर्पण हैं — यह श्रृंगार भक्त के भीतर की भावना को अभिव्यक्त करता है। बाबा का सिंगार जितना बाहरी है, उतना ही भीतर के प्रेम से निर्मित होता है।
श्याम अपने भक्त की पुकार पर तुरंत दौड़े चले आते हैं। जब हृदय से “जयकारा” उठता है, वह कोई आवाज नहीं होती — वह संबंध की पुकार होती है, जो सीधे ठाकुर के चरणों तक पहुँचती है। यह गान केवल जय घोष नहीं, प्रेम और आस्था का विस्फोट है; जहाँ भक्त की पुकार में इतनी शक्ति है कि स्वयं श्याम उस भाव का बंधन तोड़कर दौड़ पड़ते हैं।
सांवरे की पालकी सजाने का भाव केवल पूजा की तैयारी नहीं, मन को सजाने का प्रतीक है। जब भीतर का मंदिर स्वच्छ हो, मन की वेदी पर प्रेम का दीप जलाया जाए, तो वही शृंगार ठाकुर को भाता है। चंदन का तिलक मस्तक पर नहीं, विचारों पर लगाया जाता है; इत्र और मोगरे की खुशबू भक्ति के भीतर से उठती है। जब यह सजावट बाहरी नहीं, अंतर के भावों से हो, तभी सांवरे का नजारा मिलन का रूप ले लेता है।
सांवरे की पालकी सजाने का भाव केवल पूजा की तैयारी नहीं, मन को सजाने का प्रतीक है। जब भीतर का मंदिर स्वच्छ हो, मन की वेदी पर प्रेम का दीप जलाया जाए, तो वही शृंगार ठाकुर को भाता है। चंदन का तिलक मस्तक पर नहीं, विचारों पर लगाया जाता है; इत्र और मोगरे की खुशबू भक्ति के भीतर से उठती है। जब यह सजावट बाहरी नहीं, अंतर के भावों से हो, तभी सांवरे का नजारा मिलन का रूप ले लेता है।
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