किससे नजर मिलाऊं तुम्हें देखने के बाद
किससे नजर मिलाऊं तुम्हें देखने के बाद
आंखों में ताबे दीद अब,
बाकी नहीं रहा,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
सारे देवतों का एहतराम भी,
मेरी निगाह में है,
किस किसको सर झुकाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
है लुत्फ बस इसी में,
मजा इसी में है,
अपना पता ना पाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
मेरा एक तू ही तू है,
दिलदार प्यारे कान्हा,
झोली कहां फैलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
प्यारे यह प्यार तेरा,
महफ़िल में खींच लाया,
महबूब प्यार तेरा,
महफ़िल में खींच लाया,
दिलबर यह प्यार तेरा,
महफ़िल में खींच लाया,
दिल की किसे सुनाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
साहिल पे रुक ना जाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
सागर में डूब जाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
बाकी नहीं रहा,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
सारे देवतों का एहतराम भी,
मेरी निगाह में है,
किस किसको सर झुकाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
है लुत्फ बस इसी में,
मजा इसी में है,
अपना पता ना पाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
मेरा एक तू ही तू है,
दिलदार प्यारे कान्हा,
झोली कहां फैलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
प्यारे यह प्यार तेरा,
महफ़िल में खींच लाया,
महबूब प्यार तेरा,
महफ़िल में खींच लाया,
दिलबर यह प्यार तेरा,
महफ़िल में खींच लाया,
दिल की किसे सुनाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
साहिल पे रुक ना जाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
सागर में डूब जाऊं,
तुम्हें देखने के बाद,
किससे नजर मिलाऊं,
तुम्हें देखने के बाद।
Kisase Nazar Milau Tumhe Dekhne Ke Baad || किससे नज़र मिलाउ तुम्हे देखने के बाद || By - Shri Vinod Ji
जब दिव्यता का साक्षात्कार होता है, तो आत्मा अपनी ही सीमाओं को भूल जाती है। उस क्षण में कोई भेद, कोई द्वंद्व, कोई प्रश्न शेष नहीं रहता। चेतना जिस प्रभा के सामने खड़ी होती है, वह सब कुछ भुला देने वाली होती है। यह अनुभव न तो बाहरी दृष्टि का विषय है, न ही केवल भावनात्मक आकर्षण का — यह उस संगम का क्षण है जहाँ “मैं” का अस्तित्व विलीन हो जाता है। जब प्रभु के सौंदर्य का स्पर्श आंखों में उतरता है, तब नज़रों में कोई और ठहर नहीं सकता। यह वह अवस्था है जहाँ मन के भीतर इतने प्रकाश का आवेग उमड़ता है कि संसार की हर दिशा धुंधली हो जाती है।
Nikunj Kamra Bhajan - निकुंज कामरा भजन- Nikunj Kamra Bhajan - Kis Se Nazar Milaun Tumhen Dekhne Ke Baad- किससे नजर मिलाऊं, तुम्हें देखने के बाद- जब से आप मेरी नजर में आए, अब और कुछ देखने की, किसी और के दर पर जाने की, किसी और को अपना बनाने की अब कोई इच्छा शेष ही ना रही! मेरे जीवन के हर क्षण में केवल आप ही आप हो!
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Singer- Nikunj Kamra
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