जीवन का व्रत एक ही लिरिक्स
जीवन का व्रत एक ही,
हो भारत का नव उत्थान,
रात दिवस धुन एक ही,
जग में हो भारत का मान,
जय जय मेरे देश महान।
चले साधना सतत प्रवाह,
निज पद सुख की न हो चाह,
शील सुशोभित जीवन ज्योति,
हर पल रहे उसी का ध्यान,
जय जय मेरे देश महान।
स्वाभिमान जन जन में जागे,
हीन भाव हर व्यक्ति त्यागे,
प्राप्त करायें सभी को अवसर,
समरसता का अमृत पान,
जय जय मेरे देश महान।
ग्राम ग्राम में सज्जन शक्ति,
रोम रोम में भारत भक्ती,
यही विजय का महामंत्र है,
दशों दिशा से करें प्रयाण,
जय जय मेरे देश महान।
मंगलमय हो नव रचनायें,
न्याय सुनीति पथ अपनायें,
करें परिश्रम सद्गुण लेकर,
यही धरा वैभव की खान,
जय जय मेरे देश महान।
जीवन का व्रत एक ही,
हो भारत का नव उत्थान,
रात दिवस धुन एक ही,
जग में हो भारत का मान,
जय जय मेरे देश महान।
जीवन का व्रत एक ही,हो भारत का नव उत्थान।||Jeevan ka Vrat Ek hi, Ho bharat ka Nav utthan