एक तुम्हीं आधार सदगुरु एक तुम्हीं आधार

एक तुम्हीं आधार सदगुरु एक तुम्हीं आधार

 
एक तुम्हीं आधार सदगुरु एक तुम्हीं आधार

जब तक मिलो न तुम जीवन में,
शांति कहा मिल सकती मन में,
खोज फिरा संसार सदगुरु,
एक तुम्हीं आधार सदगुरु,
एक तुम्हीं आधार।


कैसा भी हो तारण हारा,
मिले ना जब तक शरण सहारा,
हो ना सका उस पार सद्गुरु,
एक तुम्हीं आधार,
एक तुम्हीं आधार सतगुरु,
एक तुम्हीं आधार।

हम आये हैं द्वार तुम्हारे,
अब उद्धार करो दुख हारे,
सुन लो दास पुकार सदगुरु,
एक तुम्हीं आधार,
एक तुम्हीं आधार सतगुरु,
एक तुम्हीं आधार।

छा जाता जग में अंधियारा,
तब पाने प्रकाश की धारा,
आते तेरे द्वार सदगुरु,
एक तुम्हीं आधार,
एक तुम्हीं आधार सतगुरु,
एक तुम्हीं आधार।

सद्गुरु वह दिव्य प्रकाश होते हैं जो अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर जीवन में सत्य, प्रेम और आत्मज्ञान का संचार करते हैं। उनका सान्निध्य हमारे मन को शुद्ध करता है और आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का मार्ग दिखाता है। सद्गुरु न केवल बाहरी ज्ञान का स्रोत होते हैं, बल्कि आंतरिक जागृति का कारण भी बनते हैं। उनकी वाणी में अमृत तुल्य शांति होती है। उनके चरणों में समर्पण से ही जीवन सार्थक होता है। जो भी उनके बताए मार्ग पर चलता है वह मोक्ष और सच्चे आनंद की ओर बढ़ता है। जय सदगुरु।

|| जब तक मिलो न तुम जीवन में,शांति कहा मिल सकती मन में || सतगुरु भजन with lyrics

गीत कहता है कि जब तक सदगुरु का सान्निध्य न मिले, मन को शांति नहीं मिल सकती, चाहे सारा संसार क्यों न छान लिया जाए। सदगुरु ही वह एकमात्र आधार हैं, जो तारणहार बनकर भटके हुए को शरण देते हैं, क्योंकि बिना उनकी कृपा के कोई भी जीवन के पार नहीं पहुँच सकता। भक्त उनके द्वार पर आकर दुखों से मुक्ति की पुकार लगाता है, यह विश्वास रखते हुए कि सदगुरु ही उसका उद्धार करेंगे। जब जग में अंधेरा छा जाता है, तब सदगुरु के द्वार पर आकर ही प्रकाश की धारा मिलती है। यह भजन हृदय को छू लेता है, क्योंकि यह सदगुरु की उस अपार कृपा को दर्शाता है, जो भक्त के जीवन को दुखों से मुक्त कर आलोकित करता है, और बार-बार "एक तुम्हीं आधार" का उद्घोष श्रद्धा को और गहरा करता है।

सद्गुरु की महिमा को अक्सर ईश्वर के समान माना गया है क्योंकि वे हमें ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग दिखाते हैं। कबीर दास जी ने कहा है, "गुरु गोबिंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय। बलिहारी गुरु आपनो, गोबिंद दियो बताए।।" इस दोहे में गुरु को भगवान से भी बड़ा बताया गया है, क्योंकि गुरु ही वह माध्यम हैं जिन्होंने भगवान का दर्शन कराया। सद्गुरु हमें आत्म-ज्ञान की ओर ले जाते हैं, हमारी चेतना को जागृत करते हैं और हमें जीवन के परम सत्य का अनुभव कराते हैं। वे हमारे अहंकार को मिटाकर विनम्रता का भाव भरते हैं और हमें प्रेम, करुणा और सेवा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका मार्गदर्शन ही हमें जीवन के दुखों और चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देता है और हमें एक शांत और आनंदमय जीवन जीने में सहायता करता है। 

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