तेरी जय जैकार संगता ने बोलियां भजन
तेरी जय जैकार संगता ने बोलियां भजन
तेरी जय जैकार, संगता ने बोलियां,
ते मुरादा नाल, भर लईआं झोलियाँ।।
जो भी प्रीत मईया जोड़े, दुःख उसदे तू तोड़े।।
ताहिओ चरणा च दिल लग्गे मेरा,
दिल विच स्वर्गा दी इच्छा मुक्क गई,
दर वेख के अमड़िये तेरा।।
भवना दी शान तेरे भगता नू मोह लयेगी,
देव लोक नालो सोहने द्वार जदो खोलेगी।।
दूर होव एथे आके दुःखा दा हनेरा।।
आवे सूखा नाल सोहना सवेरा,
दिल विच स्वर्गा दी इच्छा मुक्क गई,
दर वेख के अमड़िये तेरा।।
धरती आकाश चन्न तारे, जय जय बोलदे,
देवते भी अंबरा चो चवर ने जोहलदे।।
रहमत तेरी ए मईया, अपर अपार।।
जे तू कर लवे दिल च बसेरा,
दिल विच स्वर्गा दी इच्छा मुक्क गई,
दर वेख के अमड़िये तेरा।।
तीन लोका नालो शान, दर दी निराली ए,
राजे महाराजे तेरे दर दे सवाली ए।।
तेरे दरबार जदो खुशियां मिलन।।
होर किस दर जाऊ दस केहड़ा,
दिल विच स्वर्गा दी इच्छा मुक्क गई,
दर वेख के अमड़िये तेरा।।
तेरी ज्योत साँवे जिहना, धुनिया रमाईआ ने,
मंगिया मुरादा मेहरावाली कोलो पाईया ने।।
हो गया सिकंदर ता दर दा ग़ुलाम।।
नाले करमा भी बचड़ा तेरा,
दिल विच स्वर्गा दी इच्छा मुक्क गई,
दर वेख के अमड़िये तेरा।।
ते मुरादा नाल, भर लईआं झोलियाँ।।
जो भी प्रीत मईया जोड़े, दुःख उसदे तू तोड़े।।
ताहिओ चरणा च दिल लग्गे मेरा,
दिल विच स्वर्गा दी इच्छा मुक्क गई,
दर वेख के अमड़िये तेरा।।
भवना दी शान तेरे भगता नू मोह लयेगी,
देव लोक नालो सोहने द्वार जदो खोलेगी।।
दूर होव एथे आके दुःखा दा हनेरा।।
आवे सूखा नाल सोहना सवेरा,
दिल विच स्वर्गा दी इच्छा मुक्क गई,
दर वेख के अमड़िये तेरा।।
धरती आकाश चन्न तारे, जय जय बोलदे,
देवते भी अंबरा चो चवर ने जोहलदे।।
रहमत तेरी ए मईया, अपर अपार।।
जे तू कर लवे दिल च बसेरा,
दिल विच स्वर्गा दी इच्छा मुक्क गई,
दर वेख के अमड़िये तेरा।।
तीन लोका नालो शान, दर दी निराली ए,
राजे महाराजे तेरे दर दे सवाली ए।।
तेरे दरबार जदो खुशियां मिलन।।
होर किस दर जाऊ दस केहड़ा,
दिल विच स्वर्गा दी इच्छा मुक्क गई,
दर वेख के अमड़िये तेरा।।
तेरी ज्योत साँवे जिहना, धुनिया रमाईआ ने,
मंगिया मुरादा मेहरावाली कोलो पाईया ने।।
हो गया सिकंदर ता दर दा ग़ुलाम।।
नाले करमा भी बचड़ा तेरा,
दिल विच स्वर्गा दी इच्छा मुक्क गई,
दर वेख के अमड़िये तेरा।।
Teri Jaikar
Teri Jaikar · Singer : Sardool Sikandar
यह भक्ति भजन माँ अंबे के प्रति अटूट श्रद्धा और उनके दरबार की महिमा का हृदयस्पर्शी चित्रण करता है, जो भक्तों के दुखों को हरकर सुख और स्वर्गीय आनंद प्रदान करता है। भक्त संगत की जय-जयकार और माँ के प्रति प्रीत से भरी झोलियाँ मुरादों से भर जाती हैं, जो माँ की कृपा से हर दुख को तोड़ने की शक्ति को दर्शाता है। माँ के दर पर पहुँचते ही स्वर्ग की इच्छा समाप्त हो जाती है, क्योंकि उनका दर स्वयं स्वर्ग से बढ़कर है। भवनों की शान और माँ का द्वार देवलोक से भी सुंदर है, जो दुखों के अंधेरे को मिटाकर सुखमय सवेरा लाता है। धरती-आकाश और देवता भी माँ की जय बोलते हैं, उनकी अपार रहमत हर दिल में बसेरा बनाती है। राजा-महाराजा भी उनके दर के सवाली हैं, जहाँ खुशियाँ बिखरती हैं, और कोई अन्य दर इसकी बराबरी नहीं कर सकता। माँ की ज्योत से सारी दुनिया रम जाती है, और उनका गुलाम बनकर सिकंदर जैसा वैभव पाता है, कर्मों का उद्धार होता है। यह भजन माँ अंबे के दर की महानता को गाता है, जो भक्त के हृदय में श्रद्धा और आनंद की लहर जगा देता है।
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