कबीर गाफिल क्यों फिरै क्या सोता घनघोर हिंदी मीनिंग Kabir Gafil Kyo Phire Meaning

कबीर गाफिल क्यों फिरै क्या सोता घनघोर हिंदी मीनिंग Kabir Gafil Kyo Phire Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth/Bhavarth Sahit

कबीर गाफिल क्यों फिरै क्या सोता घनघोर |
तेरे सिराने जम खड़ा, ज्यूँ अँधियारे चोर ||
 
Kabir Gafil Kyo Phire, Kya Sota Ghanghor,
Tere Sirane Jam Khada, Jyu Andhiyare Chor.
 
कबीर गाफिल क्यों फिरै क्या सोता घनघोर हिंदी मीनिंग Kabir Gafil Kyo Phire Meaning

 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi

इस दोहे में कबीर साहेब कहते है की ऐ मनुष्य तुम भ्रम में क्यों भटक रहे हो? तुम क्यों गाफील हो, क्यों तुम अज्ञान में हो, तुम गहरी नीन्द में क्यों सो रहे हो? तुम्हारे सिरहाने में मौत खड़ा है जैसे अंधेरे में चोर छिपकर रहता है। यम कभी भी तुमको अपना शिकार बना लेगा. इस दोहे से आशय है की मनुष्य असावधानी में भटकता रहता है, वह गाफिल/मद मस्त होकर निद्रा में व्यस्त रहता है. वह भूल जाता है की एक रोज उसे मृत्यु प्राप्त होनी है. उसे यह संसार छोडकर जाना है. संत कबीर ने माया को एक भ्रम माना है। उन्होंने माया को एक ऐसी शक्ति के रूप में देखा है जो मनुष्य को सत्य से दूर ले जाती है। कबीर के अनुसार, माया एक जाल है जिसमें मनुष्य फंस जाता है और उसे मुक्ति नहीं मिलती।

कबीर ने माया को कई रूपों में देखा है। उन्होंने माया को धन, संपत्ति, सुख-सुविधाओं, मोह और अहंकार के रूप में देखा है। उन्होंने कहा है कि माया इन सब चीजों के रूप में मनुष्य को मोहित करती है और उसे सत्य से दूर ले जाती है।
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