श्री वल्लभ गुरु के चरणो में मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ

श्री वल्लभ गुरु के चरणो में मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ

श्री वल्लभ गुरु के चरणों में,
मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ,
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब-जब दर्शन तुम्हारा पाता हूँ।।
श्री वल्लभ गुरु के चरणों में।।

मुझे वल्लभ नाम ही प्यारा है,
इसका ही मुझे सहारा है,
इस नाम में ऐसी बरकत है,
जो चाहता हूँ सो पाता हूँ।।
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब-जब दर्शन तुम्हारा पाता हूँ।।
श्री वल्लभ गुरु के चरणों में,
मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ।।

जब याद तेरे गुण आते हैं,
तब दुःख-दर्द सभी मिट जाते हैं,
मैं बनकर मस्त दिवाना फिर,
बस गीत तेरे ही गाता हूँ,
बस गीत तेरे ही गाता हूँ।।
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब-जब दर्शन तुम्हारा पाता हूँ।।
श्री वल्लभ गुरु के चरणों में,
मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ।।

गुरु राज तपस्वी महामुनि हुए,
सरताज हो तुम महाराजों के,
मैं एक छोटा-सा सेवक हूँ,
कुछ कहता हुआ शर्माता हूँ।।
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब-जब दर्शन तुम्हारा पाता हूँ।।
श्री वल्लभ गुरु के चरणों में।।

गुरु चरणों में है अर्ज मेरी,
बढ़ती दिन-रात रहे भक्ति,
मेरा मानस जन्म सफल होवे,
यही भक्ति का फल चाहता हूँ।।
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब-जब दर्शन तुम्हारा पाता हूँ।।
श्री वल्लभ गुरु के चरणों में।।

श्री वल्लभ गुरु के चरणों में,
मैं नित उठ शीश झुकाता हूँ,
मेरे मन की कली खिल जाती है,
जब-जब दर्शन तुम्हारा पाता हूँ।।



Shree Vallabh Guru Ke Charno Me - Sushil Damani | Vallabh Guru | Krishna Bhajan | Sanskar Bhajan

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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