सतगुरु लई कमांण करि मीनिंग Satguru Layi Kaman Meaning

सतगुरु लई कमांण करि मीनिंग Satguru Layi Kaman Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit

सतगुरु लई कमांण करि, बांहण लागा तीर॥
एक जु बाह्या प्रीति सूँ, भीतरि रह्या शरीर॥६॥ 

Satguru Lai Kaman Kari, Bahan Laga Teer,
Ek Ju Bahya Preet Su, Bhitari Rahya Sharir
 
सतगुरु लई कमांण करि मीनिंग Satguru Layi Kaman Meaning


हिंदी अर्थ व्याख्या सहित : सतगुरु के विषय में कबीर साहेब का कथन है की सतगुरु देव ने अपने हाथों में धनुष को लेकर तीर को बहाना, तीरों को चलाना शुरू किया। सतगुरु ने धनुष लेकर ज्ञान रूपी तीर छोड़ने शुरू किये। सतगुरु ने एक तीर प्रेम से मारा जो मेरे शरीर को भेद गया है, शरीर में ही घर करके रह गया है।

विशेष है की प्रस्तुत साखी में कवि ने सतगुरु को सूरमा के रूप में चित्रित किया है, जो तीर (ज्ञान रूपी तीर ) संधान करने में अत्यन्त कुशल है वह अनवरत रूप से शिष्य के प्रति जो शब्द-बाण को लक्ष्य करता रहा है। सतगुरु ने एक तीर जो प्रेम का है, ज्ञान का है चलाया जिससे शिष्य ब्रह्ममय हो गया है। 
 
शब्दार्थ
लई-ली, ग्रहण की, हाथों में ली।
करि=कर–हाथ में / हाथ में धनुष लिया।
बाहण=बहाने अर्थात्‌-फेंकने लगे/तीर चलाने लगे।
बाह्या=बहाया, फेंका।
सरीर—शरीर। 

- © सरोज जांगिड, सीकर राज.
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