सतगुरु मार्‌या बाण भरि मीनिंग Satguru Maraya Ban Bhari

सतगुरु मार्‌या बाण भरि मीनिंग Satguru Maraya Ban Bhari Meaning : kabir Ke Dohe

सतगुरु मार्‌या बाण भरि, धरि करि सूधी मूठि ।
अंगि उघाडै लागिया, गई दवा सूँ फूंटि।।

Satguru Marya Ban Bhari, Dhari Kari Sudhi Muthi,
Angi Ughade Lagiya, Gai Dava Su Futi.
 
सतगुरु मार्‌या बाण भरि मीनिंग Satguru Maraya Ban Bhari Meaning

 

भावार्थ : सतगुरु के ज्ञान के विषय में कबीर साहेब का कथन है की सतुगुरु ने ज्ञान रूपी बाण को शिष्य पर केन्द्रित करके चलाया। गुरदेव ने सीढ़ी मुट्ठी में पकड़ कर / पूर्ण शक्ति से बाण को चलाया। सतगुरु का यह बाण शिष्य ने नग्न बदन पर जा लगा जिससे जंगल की आग की भाँती तीव्रता से अग्नि जलने लगी। 
 
Meaning in English : Kabir Saheb states about the knowledge of the Satguru that the Satguru directed the arrow of knowledge towards the disciple. The Guru, holding the arrow firmly in his fist, launched it with full force. This arrow of the Satguru struck the disciple's naked body, igniting a fire in the jungle-like intensity, resembling the rapid ignition of a forest fire.

शब्दार्थ :

  • सतगुरु : गुरु।
  • मार्‌या : चलाया, मारा।
  • बाण भरि : बाण/तीर को पूर्ण शक्ति से।
  • धरि करि : पकड़ कर।
  • सूधी मूठि : सीधी मुट्ठी/हाथ में पकड़ कर।
  • अंगि : शरीर।
  • उघाडै : प्रकट, नग्न।
  • लागिया : लगा।
  • दवा : दावाग्नि।
  • सूँ : की भाँती।
  • फूंटि : फुट पड़ी (एक साथ प्रकट हो गई )
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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