रुत आगी रे बाबा जी से बोलन की

रुत आगी रे बाबा जी से बोलन की

 
रुत आगी रे बाबा जी से बोलन की

रुत आगी रे,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रे,
बोलन की रे बतलावण की,
रुत आगी रे।।

कई दिनां सूँ उडीक रह्यो थो,
इब यो फागण आयो जी,
खाटू वालो सब भगता ने,
झालो देर बुलायो जी,
श्याम मिलन की हर एक मन में,
खुशी समागी रे,
रुत आगी रे, रुत आगी रे,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रे।।

होली खेलन श्याम के संग में,
रळ मिल के सब आए रया,
रिंगस से खाटू नगरी तक,
रंग गुलाल उड़ाय रया,
खाटू नगरी स्वर्ग सरीखी,
मन ने भागी रे,
रुत आगी रे, रुत आगी रे,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रे।।

ग्यारह महीना सुने है सबकी,
फागण में यो बात करे,
तीखा तीखा नैना सूँ यो,
देखे दिल पे घात करे,
जीपे चलावे तीर नज़र का,
वो बड़भागी रे,
रुत आगी रे, रुत आगी रे,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रे।।

संकट पीड़ा दुख तकलीफा,
के बुरो के चोखो रे,
श्याम ने बतला दे तेरो,
सारो लेखो जोखो रे,
हर संकट की राखे बाबो,
हाथ में चाबी रे,
रुत आगी रे, रुत आगी रे,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रे।।

खींचो चल्यो आवे जी की,
डोर साँवरो खींचे है,
श्याम लगन में नाचे वो तो,
दोन्यों आंख्या मीचे है,
‘रजनी’ और ‘सोनू’ की भी तो,
किस्मत जागी रे,
रुत आगी रे, रुत आगी रे,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रे।।

रुत आगी रे,
बाबा जी से बोलन की,
रुत आगी रे,
बोलन की रे बतलावण की,
रुत आगी रे।।



रुत आगी रे - Fagun Dhamal | Rajni Rajasthani | Rut Aagi Re | Shyam Baba Bhajan

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Saroj Jangir Author Admin - Saroj Jangir

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